नौकरीपेशा मध्यवर्गीय वर्ग के परिवारों के लिए फरवरी मार्च का महीना बड़ा कष्टकारी व अग्निपरीक्षा वाला रहता है. कारण यह कि हर साल फरवरी माह में इनकम टैक्स असैसमैंट भरना होता है. इसी आधार पर फरवरी माह के वेतन से टैक्स कटौती होती है और मार्च में मिलने वाला वेतन कभीकभी आधे से भी कम होता है. काफी खर्च रुक जाते हैं, कई बार तो जरूरी आकस्मिक खर्च, जैसे बीमारी, बच्चों की फीस आदि के लिए इधरउधर मुंह ताकना पड़ता है.

आज के मध्यवर्ग को मुख्य रूप से 3 वर्गों में बांट सकते हैं. पहला, कम आय का मध्यवर्ग, दूसरा, मध्यआय वाला मध्यवर्ग जहां परिवार का मुखिया क्लास वन या टू के पद पर है और तीसरा, ज्यादा आय वाला मध्यवर्ग, जहां पतिपत्नी दोनों ही व्यावसायिक दक्षता वाले प्रोफैशनल हैं, जैसे कि सौफ्टवेयर इंजीनियर आदि. लगभग सभी परिवारों के बचत व बजट के मामले में परिस्थिति एक सी होती है कि परिवार का खर्च आमदनी से ज्यादा होता है और लगता है कि जरूरी खर्चों के लिए ही रुपए कम हैं तो बचत करने की तो बात करनी ही बेकार है.

बाजार के हालात आमदनी और खर्च को प्रभावित करते हैं. जब बाजार में महंगाई बढ़ती है तो हमारी क्रयशक्ति कम होने लगती है. परिवार में किसी सदस्य को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी या किसी के बच्चे आईटी या आईएएस की कोचिंग कर रहे हों तो ऐसी परिस्थितियां हमारे बचत करने के अवसरों को और भी कम कर देती हैं. एक कारण और है जो कि आसानी से परिलक्षित नहीं होता लेकिन बड़ा मजेदार है, कम आयवर्ग वाला मध्यवर्गीय परिवार रहनसहन और रोजमर्रा के जीवन की सुविधा के मामले में मध्य आयवर्ग वाले मध्यवर्गीय परिवार से होड़ करने की चेष्टा करता है. मध्यम आयवर्ग के परिवार ज्यादा आयवर्ग वाले परिवारों से व ज्यादा आय वाले परिवार उच्च आयवर्ग के धनी परिवारों में शुमार होने की कोशिश में लगे हैं.

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