भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फि‍र मल्‍टीनेशनल कंपनियों पर हमला बोला है. उन्‍होंने कहा कि मल्‍टीनेशनल कंपनियां हमेशा अधिक टैक्‍स वसूलने का आरोप लगाती हैं, इसलिए उन्‍होंने इन कंपनियों से ज्‍यादा टैक्‍स का झूठा रोना बंद करने के लिए कहा है. उन्‍होंने कहा कि मल्‍टीनेशनल कंपनियां दुनियाभर में टैक्स बचाने और टैक्स चोरी करने के नए-नए हथकंडे अपनाती हैं. इसलिए यहां सरकार और एमएनसी के बीच लगातार लड़ाई चलती रहती है.

पिछले हफ्ते मुंबई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राजन ने कहा कि दुनियाभर की ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनियां अमेरिका के पास स्थित केमन आईलैंड का जिस तरह इस्तेमाल करती हैं उससे तो यह लगता है कि सभी कंपनियों का मैन्यूफैक्चरिंग फॉर्मूला (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) इस कुछ किलोमीटर वर्ग फुट में सिमटे द्वीप पर जन्म लेता है.

उन्‍होंने कहा कि जब कुछ मल्टीनेशनल कंपनियां लोकतांत्रिक ढांचे में सरकार के प्रमुख उद्देश्य को विफल करने का बीड़ा उठा लें तो जरूरी हो जाता है कि इससे निपटने के लिए कोई नया रास्ता अपनाया जाए. बड़ी कंपनियों जैसे गूगल और एप्‍पल समेत कई कंपनियों द्वारा टैक्‍स चोरी करने की वजह से दुनियाभर में इसकी रोकथाम के लिए नए कानून बनाए गए हैं. अमेरिका ने टैक्‍स बेनेफि‍ट के लिए दूसरे क्षेत्र की कंपनियों के साथ विलय करने पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया है. वहीं यूरोप के कई देशों, चीन और जापान में इस संबंध में कठोर कदम उठाए जा रहे हैं.

मल्‍टीनेशनल कंपनियों की आलोचना इसलिए भी उल्‍लेखनीय है क्‍योंकि कुछ कंपनियों ने भारत द्वारा पिछली तारीख से टैक्‍स लगाने पर आपत्ति जताई थी. वोडाफोन और केयर्न ने भारत में पिछले तारीख से टैक्‍स लगाने और टैक्‍स डिपार्टमेंट द्वारा किए गए टैक्‍स डिमांड को चुनौती दी है और इस मामले को अंतरराष्‍ट्रीय अदालत में ले गई हैं.

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