सूखे का दंश झेल रहे किसानों को बैंकों का कर्ज अब हर हाल में चुकाना ही पड़ेगा. केंद्र सरकार ने इसे माफ करने की मांग को तमाम अड़चनें बता कर ठुकरा दिया है. वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि कर्ज माफी से वसूली का वातावरण खराब होता है.
गौरतलब है कि बुंदेलखंड के किसान 3 अरब रुपए से भी ज्यादा के कर्जदार हैं. इस साल पड़े सूखे और पिछली फसलों में ओलों और बेमौसम की बारिश जैसी कुदरत की मार से बुंदेलखंड में फसलों को भारी नुकसान हुआ था. इस से किसानों की रीढ़ टूटगई. कर्ज अदायगी के रास्ते नहीं बचे. इसी के मद्देनजर बांदा से समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने राज्यसभा में बुंदेलखंड के किसानों का मामला उठा कर किसानों के कर्ज को माफ करने की मांग की थी.
इस मामले पर वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि इस तरह की माफी कर्ज के वातावरण को खराब करती है. अब तो किसानों को सरकारी कर्ज लौटाना ही पड़ेगा. किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं होगी और न ही उन पर किसी तरह का रहम खाया जाएगा.
एक सामान्य नजरिए से देखा जाए तो सरकारी फरमान कतई गलत नहीं है. सरकार आड़े वक्त में किसानों को कर्ज देती है, तो उस की वापसी की उम्मीद भी करती है. दरअसल तमाम किसानों को हर कर्ज माफ कराने की आदत पड़ गई है.