अप्रैल तक बाजार में सबकुछ बढि़या रहा. हर दिन बाजार नया स्तर पार करता रहा और 25 अप्रैल को बौंबे स्टौक ऐक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक 7 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. पूरे अप्रैल में बाजार का लगभग यही रुख बना रहा. इस की वजह यह उम्मीद और अटकलें थीं कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्जाज दरों में कटौती की जाएगी. निवेशकों में यही उम्मीद प्रचारित की जाती रही जिस के कारण बाजार लगातार 19 हजार अंक के पार बना रहा.

चीन का लद्दाख सीमा पर घुसपैठ करने का?भी बाजार पर नकारात्मक असर नहीं पड़ा क्योंकि यह संदेश दिया गया कि भारत इस स्थिति से निबट लेगा. कोयला घोटाले में संसद के बजट सत्र की कार्यवाही ठप रही और सरकार के लिए कई बार अस्थिर करने वाले सहयोगी दलों की तरफ से आए बयान का भी बाजार पर कोई नकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला.

3 मई को जैसे ही रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में फिलहाल कटौती से इनकार किया तो बाजार में मायूसी छा गई. बीएसई का सूचकांक शुक्रवार को 161 अंक तक लुढ़क गया. नैशनल स्टौक ऐक्सचेंज यानी निफ्टी भी 56 अंक टूट गया. मई के पहले से ही बाजार में अटकलें शुरू हो गई थीं कि बैंक ब्याज दरें नहीं घटा रहा. इस आशंका के कारण मई की शुरुआत से ही बाजार ढीला पड़ गया था लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि आर्थिक स्तर पर मजबूत संकेत हैं, इसलिए बाजार में अच्छा माहौल बनेगा.

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