कामयाब आदमी को भीड़ में जगह बनाने के लिए कोई अतिरिक्त कोशिश नहीं करनी पड़ती क्योंकि खुद भीड़ ही उसे अपने से अलग कर ऐसी जगह खड़ा कर देती है जहां से सब उसे और वह सभी को आसानी से देख सके.  ऐसा ही कुछ 20 मई को कुणाल बहल के साथ हुआ जब उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री निवास में आयोजित युवा उद्यमी पंचायत में शिरकत की. इस कार्यक्रम में देशप्रदेश से आए हजारों युवा उद्यमियों को पता चला कि छोटे चैक की शर्ट वाला युवा स्नैपडील का सीईओ कुणाल बहल है तो तमाम आंखें उन की तरफ मुड़ उठीं और हर कोई कुणाल से मिलने को लालायित हो उठा. आकर्षण का केंद्र बन गए कुणाल को किसी सैलिब्रिटी सरीखा ट्रीटमैंट मिला तो तय है उन्हें यह भी समझ आया होगा कि उन की कंपनी अपनेआप में एक बड़ा ब्रैंड बन चुकी है और हर कोई सिर्फ यह जानने के लिए उन पर नजरें गड़ाए बैठा है कि स्नैपडील देखते ही देखते कैसे शीर्ष पर पहुंच गई. अपनी और अपनी कंपनी की कामयाबी की कहानी कुणाल ने साझा की तो कई दिलचस्प और सीखने लायक बातें सामने आईं. मसलन, स्नैपडील आज देश की दूसरी बड़ी ई-कौमर्स कंपनी है. इस का सालाना टर्नओवर 32 हजार करोड़ रुपए है. स्नैपडील में 7 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं और देशभर के 500 शहरों में इस के 4 करोड़ ग्राहक हैं.  स्नैपडील तकरीबन 1 करोड़ 40 लाख प्रोडक्ट बेचती है.

कामयाबी के झंडे फहराते इन आंकड़ों के पीछे राज क्या है, इस सवाल पर कुणाल ने बेहद गंभीरता से लेकिन सिलसिलेवार बताया कि इस के पहले मैं 5 बिजनैस कर चुका हूं और पांचों में असफल रहा. मैं ने बिजनैस की शुरुआत दिल्ली के कीर्तिनगर फर्नीचर मार्केट से की थी जहां अपने पार्टनर के साथ 14 हजार रुपए महीने के किराए के दफ्तर में बैठता था. छठी बार 2010 में जब स्नैपडील की नींव डाली तब मेरी उम्र केवल 23 साल थी. मेरे पार्टनर रोहित बंसल और मैं बड़ा सोचते थे और कड़ी मेहनत करते थे.  आज भी मैं 16 से ले कर 18 घंटे तक काम करता हूं. कुणाल गर्व से बताते हैं कि जब स्नैपडील डाली थी तब हमारे पास कुल 10 विक्रेता और महज 5 हजार उत्पाद थे.  पहले साल सिर्फ 10 लाख रुपए की बिक्री हुई थी. तब मेरी मम्मी बड़ी चिंतित रहती थीं और कहती थीं, ‘तनख्वाह तो तुझे मिलती नहीं, तू करता क्या है और तुझ से कौन लड़की शादी करेगी.’

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