प्रधानमंत्री जनधन योजना का लाभ दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने की सरकार की योजना जमीनी स्तर पर क्रियान्वित होती नजर आ रही है. इस के लिए सरकार ने करीब सवा लाख बैंकमित्र यानी बिजनैस करैसपौंडेंट एजेंट (बीसीए) नियुक्त कर दिए हैं. इन बैंकमित्रों की नियुक्ति का उद्देश्य जनधन योजना का लाभ उन क्षेत्रों के ग्रामीणों तक पहुंचाना है जहां बैंक की शाखाएं नहीं हैं और एटीएम मशीन लगाने की संभावना नगण्य है. वित्त मंत्रालय ने बैंकमित्रों के कार्य को संतोषजनक बताते हुए खुलासा किया है कि करीब 80 हजार बैंकमित्रों ने 9 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान करीब सवा करोड़ रुपए का लेनदेन किया है. इसी तरह से जून में समाप्त तिमाही के दौरान इन क्षेत्रों से 678 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ जिस में 532 करोड़ रुपए का नकदी के रूप में लेनदेन हुआ है. मंत्रालय ने कहा कि धीरेधीरे बैंकमित्रों की सक्रियता बढ़ रही है और उन के जरिए पैसे का बड़े स्तर पर लेनदेन हो रहा है. साथ ही, बैंकमित्रों की गतिविधियों पर वीडियो कौन्फ्रैंस के जरिए कड़ी निगाह भी रखी जा रही है. अभावग्रस्त ग्राम स्तर तक मित्रों के जरिए बैंक की सुविधा पहुंचाने की यह पहल बहुत अच्छी है और इस से जनधन योजना को फायदा होगा लेकिन सब से बड़ी चुनौती ग्रामीणों के विश्वास को जीतने की है. बैंकमित्र पर उन का भरोसा बना रहे, इस के लिए बैंकमित्रों को और अधिक सक्रिय बनाने के साथ ही उन को भरोसे का प्रतीक बनाना होगा. इस काम में जरा भी चूक हुई तो भोलेभाले ग्रामीणों का विश्वास फिर से अर्जित करना बड़ी चुनौती बन जाएगी. देश के दूरदराज के क्षेत्रों में बसे गांव के आदमी तक बैंक की सुविधा पहुंचाने के सरकार के लक्ष्य का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन आसपास बसे कुछ गांवों के बीच बैंक की शाखा खोलने की संभावना तलाशना ज्यादा बेहतर होगा. बैंकों को बैंकमित्र की जगह शाखा स्थापना पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

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