वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) लागू होने के बाद इंश्योरेंस से जुड़ी सेवाएं भी महंगी हो सकती हैं. बैंकिंग, इंश्योरेंस और रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट पर फिलहाल टैक्स की दर 15 फीसद है. जीएसटी लागू होने के बाद इसमें 3 फीसद का इजाफा हो जाएगा और यह दर 18 फीसद हो जाएगी. ऐसे में जीएसटी आने के बाद इंश्योरेंस सेवाओं का महंगा होना भी तय है.

सामान्य तौर पर तीन तरह के इंश्योरेंस सेवाएं होती हैं- टर्म इंश्योरेंस प्लान, यूलिप और भविष्य निधि. वर्तमान समय में इन तीनों पर टैक्स की अलग-अलग दर लागू होती है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में प्रीमियम दो हिस्सों में दिया जाता है, रिस्क कवरेज और सेविंग्स. इसमें से रिस्क कवरेज वाले हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगता है, जबकि सेविंग्स को इससे छूट मिलती है.

जीएसटी लागू होने के बाद इंश्योरेंस पर किस हिसाब से लगेगा टैक्स.

- बीमाधारक चाहे तो उसके ग्रॉस प्रीमियम में से इन्वेस्टमेंट या सेविंग्स के हिस्से को कम किया जाएगा और उसी पर ही जीएसटी लागू होगा.

- साल में एक बार ही जमा किए जाने वाले बीमा प्रीमियम पर 10 फीसद का शुल्क लिया जाएगा.

- इसके अलावा अन्य सभी योजनाओं में पहले साल में प्रीमियम का 25 फीसद और उसके बाद के सालों में 12.5 फीसद की दर से जीएसटी देना होगा. उदाहरण से समझिए अगर आपकी किसी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम 100 रुपए है तो पहले उस पर 25 फीसद यानी 25 रुपए का जीएसटी देय होगा उसके बाद आपको 12.5 फीसद के हिसाब से कर चुकाना होगा.

- वहीं अगर किसी सूरत में बीमा धारक (पॉलिसी होल्डर) की ओर से प्रीमियम की पूरी राशि रिस्क कवर के लिए ही चुकाई जाती है तो पूरे प्रीमियम पर 18 फीसद का जीएसटी लागू होगा.

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