वैश्विक बाजार में डॉलर में तेजी लौटने और स्थानीय शेयर बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी का सिलसिला बने रहने के कारण अमेरिकी मुद्रा के आगे रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की गई. भारत में बड़े आकार के नोटों पर पाबंदी की पृष्ठभूमि में विदेशी निवेशकों के सौदे घटाने के साथ-साथ अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि किए जाने की ताजा संभावनाओं के बीच रुपए पर दबाव बढा है. बाजार सूत्रों ने कहा कि तेल कंपनियों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने से रुपए पर दबाव और बढ़ गया था.

आयातकों ने भविष्य के बचाव के लिए आक्रामक हेजिंग भी शुरू कर रखी थी. अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 68.36 पर कमजोर खुला. मंगलवार को यह 68.25 पर बंद हुआ था. दिन में 68.56 रुपये प्रति डॉलर के निम्न स्तर को छूने के बाद रुपया अंत में 31 पैसे या 0.45 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.56 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

यह स्तर 26 फरवरी के बाद का न्यूनतम स्तर है. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 91.03 अंक की तेजी के साथ 26,051.81 अंक पर बंद हुआ. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने आज के कारोबार के लिए संदर्भ दर 68.4772 रुपये प्रति डॉलर और 72.7844 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी. अन्तरमुद्रा कारोबार में पौंड के मुकाबले रुपये में तेजी आई, जबकि यूरो और जापानी येन के मुकाबले रपये में गिरावट आई.

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