कुमार एक मध्यवर्गीय परिवार के मुखिया हैं. एक निजी संस्थान में नौकरी करते हुए अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद थोड़ा-थोड़ा बचा कर उन्होंने अपनी पुत्री की शादी के लिए लगभग 5 लाख रुपए इकट्ठा किए. एक दिन अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया. पूरा इलाज कराने के बाद वे ठीक तो हो गए लेकिन उन की सारी पूंजी अस्पतालों में इलाज तथा महंगी दवाइयों में खर्च हो गई. उन्हें अपनी बेटी की शादी के समय आखिर कर्ज लेना पड़ा.

यह केवल एक कुमार की कहानी नहीं है. देश में ऐसे कुमारों की संख्या लाखोंकरोड़ों में है जब उन्हें बीमार या दुर्घटनाग्रस्त होने पर इलाज पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं. वे अपनी बचत की राशि को खर्च कर डालते हैं या इलाज के लिए लोगों के आगे हाथ पसारते हैं. स्वयं कुमार ही नहीं, बल्कि परिवार में किसी भी सदस्य की बीमारी की दशा में भी यही हालत होती है.

किसी परिवार में कुमार जैसी स्थिति न आए, इस के लिए जरूरी है कि पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा करा लिया जाए. स्वास्थ्य बीमा लेने के बाद परिवार के सदस्यों की बीमारी पर होने वाले खर्च का बीमा कंपनियों द्वारा पुनर्भुगतान कर दिया जाता है.

कई बार कंपनियां अपने निश्चित अस्पतालों के माध्यम से कैशलैस इलाज की सुविधा प्रदान करती हैं जिस से इलाज का खर्चा कंपनी द्वारा सीधे ही अस्पताल को चुका दिया जाता है. बीमा पौलिसी लेने वाले को उस समय कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता है.

स्वास्थ्य बीमा की सुविधा कई कंपनियां प्रदान करती हैं. भारत सरकार ने भी बहुत कम प्रीमियम पर आम नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना नाम से उपलब्ध कराई है. इस में दुर्घटना में मृत्यु तथा अपंगता की दशा में 2 लाख रुपए तक की राशि भुगतान की जाती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...