चालू वर्ष के अंत तक बैंकों की हर शाखा पर एटीएम मशीन होगी. वित्त मंत्री पी चिदंबरम का इस व्यवस्था को लागू करने पर सब से ज्यादा जोर है. वे रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं बल्कि उल्टे कुल आबादी के 5 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ा कर 95 फीसदी अन्य लोगों के लिए महंगाई बढ़ाने का रास्ता निकाल रहे हैं.

वे हर बैंक की हर शाखा पर ही नहीं, बल्कि हर गांव में एटीएम मशीन खुलवाना चाहते हैं. सरकार को गांव तक अपनी वित्तीय नीति का पैसा बैंकों के जरिए सीधे लाभार्थी को देना है इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है. यही नहीं, हर परिवार के एक सदस्य का बैंक खाता होना अनिवार्य कर दिया गया है. इसलिए राष्ट्रीयकृत बैंकों को प्रत्येक शाखा पर एक एटीएम लगाने के आदेश दिए गए हैं.

दूरस्थ बसे जिस गांव की जनसंख्या 2 हजार होगी वहां बैंक की शाखा होगी और बैंक को एटीएम लगाना होगा. बैंकों को खाता खुलवाने के लिए अभियान चलाने के भी आदेश दिए गए हैं. बैंक किस तेजी से यह अभियान चला रहे हैं, इस का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वित्त वर्ष में 85 लाख नए खाते खोले गए. खातों की संख्या करोड़ों में है और कुल परिवार 25 करोड़ के आसपास हैं.

एटीएम सुविधाजनक है और हर घर के नजदीक बैंक और एटीएम खुलने की योजना स्वागतयोग्य है लेकिन असली बात यह है कि इन बैंकों में कामकाज निरंतर होता रहे, इस के लिए ग्रामीणों की वित्तीय स्थिति में सुधार जरूरी है. गांव वालों की आर्थिक हालत ठीक होगी तो ही एटीएम का फायदा होगा वरना एटीएम बौक्स जंग खाते रहेंगे.

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