सरकार वित्तीय प्रवाह बढ़ाने के लिए बैंकों पर ज्यादा ध्यान दे रही है. सरकारी बैंकों को मिला कर एक बड़े और स्तरीय बैंक में तबदील करने के लिए इन का एकीकरण किया जा रहा है और सरकारी बैंकों की कुल संख्या घटा कर 7 करने पर काम चल रहा है. दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय नए बैंकों के लिए लाइसैंस देने पर भी विचार कर रहा है ताकि वित्तीय प्रवाह बढ़े व बाजार में प्रतिस्पर्धा आए. उस के लिए रिजर्व बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बड़े उपक्रमों को बैंक स्थापित करने के लिए लाइसैंस जारी कर सकता है. पिछले दशक यानी जब से (1991-94 से) देश में उदारीकरण की व्यवस्था शुरू हुई है तब से अब तक 2 चरणों में लगभग एक दर्जन नए बैंकों को लाइसैंस जारी किए गए हैं. वर्ष 2006 के बाद रिजर्व बैंक ने सिर्फ 2 बैंकों, कोटक महेंद्रा और येस बैंक को ही लाइसैंस दिए हैं जबकि तीसरे चरण में कई बड़ी कंपनियां बैंक का लाइसैंस लेने के लिए लाइन लगाए खड़ी हैं.

उम्मीद की जानी चाहिए कि इस से बैंकिंग बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इस का लाभ आखिरकार आम आदमी को भी मिलेगा. लेकिन बैंक अनियमितता से नहीं जुड़ें, इस पर सरकार को नजर रखनी होगी.

 

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