कालाधन मामले में सहकारी बैंकों पर सरकार की नजर और तीखी हुई है. सरकार को यह विश्वास हो गया है कि नोटबंदी के दौरान इन बैकों ने कालेधन को बढ़ावा दिया है. बैंकों पर सरकार का भरोसा कम हुआ है क्योंकि नोटबंदी के दौरान 8 से 14 नवंबर, 2016 के बीच इन बैंकों में 500 तथा 1,000 रुपए के नोटों के साथ 16,000 करोड़ रुपए जमा किए गए. इन बैंकों को पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने का अधिकार नहीं दिया गया. फिर 16 नवंबर को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर के सहकारी बैंकों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना यानी पीएमजीकेवाई शुरू की.

योजना के तहत कालाधनधारकों को अघोषित नकदी को बैकों में जमा कर, उस पर 50 प्रतिशत कर देने के अलावा जमा राशि का 25 प्रतिशत बैंक में ही जमा रखना था. इस राशि पर जमाकर्ता के लिए ब्याज की सुविधा नहीं है. कर का भुगतान करने और निश्चित राशि जमा करने के बाद व्यक्ति अपने इस खाते से 25 प्रतिशत ही निकाल सकता है.

कर विभाग तथा अन्य संबद्ध पक्षों ने नोटबंदी के बाद सहकारी बैंकों में जमा पैसे की जांच शुरू की तो बड़ी गड़बड़ होने की आशंका सामने आई. जांच का कार्य विभिन्न स्तर पर चल रहा है लेकिन फिलहाल सरकार ने पीएमजीकेवाई के तहत इन बैंकों में रुपए जमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने इस के लिए बाकायदा एक अधिसूचना जारी की है.

नोटबंदी के बाद निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों और सहकारी बैंको की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा हुआ है. इन बैंकों की गतिविधियों के संदेह के घेरे में आने के बाद संदेहास्पद बिंदुओं की जांच का काम जारी है. लंबे समय से जनता के बीच काम करने वाले संस्थानों द्वारा इस तरह भरोसा कम करने वाली गतिविधियों को संचालित करने से करोड़ों लोगों का विश्वास डगमगाया है. लोगों का भरोसा सरकार से अधिकृत संस्थानों पर बना रहे, इस के लिए इन संस्थानों को पाकसाफ हो कर सामने आना पड़ेगा.

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