अरबों डालर की संपत्ति का सुख उठा रही जे.के. रौलिंग ने अपनी पुस्तक ‘हेरी पौटर’ की सीरीज लिखने से पहले जब अपने पुर्तगाली पति से तलाक लिया था तो उन की आर्थिक स्थिति बिलकुल खराब थी. वे एडिनबर्ग में रहने वाली वे गरीब महिला थीं, जिन के जीने का एक मात्र सहारा उन की बेटी थी. अपनी खराब स्थिति के कारण वे अवसाद में चली गईं और उन्होंने आत्महत्या का विचार बनाया, लेकिन चिकित्सकों की मदद से वे उस स्थिति से बाहर आईं और फिर जो कुछ हुआ वह जगजाहिर है. रौलिंग तो अपनी अर्थिक स्थिति मजबूत बना गईं लेकिन उन आम तलाकशुदा पत्नियों की सोचिए, जो रौलिंग जैसी स्थिति का सामना करते हुए थक जाती हैं और निराशा के गर्त में गिरती जाती हैं. अगर समय पर तलाक से पहले पत्नी को अपनी और अपने पति की फाइनेंशियल जानकारी हो तो वह काफी हद तक इस निराशा से बच सकती है.

चूंकि  विपरीत परिस्थितियों में अकेलेपन से समस्याएं बढ़ती हैं, उस पर हाथ तंग हो तो मुश्किलें बढ़ती ही हैं. एडवोकेट कविता कपिल इस संबंध में कहती हैं, ‘‘अकसर देखने में आता है कि तलाक के बाद महिलाएं भावनात्मक रूप से टूट जाती हैं और जब तक संभल पाती हैं उन के बैंक के संयुक्त खाते में एक पैसा भी नहीं बचता. लिहाजा, उन्हें मुआवजे से मिली रकम पर निर्भर होना पड़ता है या फिर गुजारेभत्ते की छोटी सी रकम को अपनी आय का साधन बनाना पड़ता है. उस पर अगर बच्चे की जिम्मेदारी हो तो परिस्थितियां और विषम बन जाती हैं.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...