एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत अनुराधा गोयल, जो नोएडा की एक पौश कालोनी में रहती हैं, ने पिछले 2 सालों से किसी मौल या दुकान से अपने लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स नहीं खरीदे हैं. वे औरीफ्लेम डीलर को फोन कर देती हैं और घर बैठे ही उन्हें अपनी जरूरत के कौस्मैटिक्स उन्हीं दामों में मिल  जाते हैं. सब से अच्छी बात उन्हें यह लगती है कि जाने के झंझट से बचने के साथ कई बार फायदेमंद स्कीम और डिस्काउंट भी उन्हें मिल जाता है. कंपनी की बुकलैट से उन्हें नए प्रोडक्ट्स की जानकारी भी मिल जाती है और दामों को ले कर कोई चिकचिक भी नहीं करनी पड़ती. 

अनुराधा की तरह अन्य कामकाजी और घरेलू महिलाएं हैं जो डायरैक्ट सैलिंग से अपने काम की चीजों को घर बैठे मंगा लेती हैं फिर चाहे वे ब्यूटी प्रोडक्ट्स हों या हैल्थ प्रोडक्ट्स या टपरवेयर के कंटेनर या घर में काम आने वाली अन्य उपयोगी चीजें. यही नहीं, अगर अपने आसपास आप नजर घुमा कर देखेंगी तो पाएंगी कि डायरैक्ट सैलिंग एक फायदेमंद कैरियर की तरह भी अपनी जड़ें जमा चुका है, खासकर महिलाएं किसी न किसी डायरैक्ट सैलिंग नैटवर्क का हिस्सा जरूर होती हैं. केवल शहरों में ही नहीं, कसबों और ग्रामीण इलाकों में भी डायरैक्ट सैलिंग यानी प्रत्यक्ष बिक्री का चलन तेजी पकड़ रहा है.

कई ऐसी भी डायरैक्ट सैलिंग कंपनियां हैं जिन्हें लगता है कि उन के प्रोडक्ट्स को पर्सनल अटैंशन की आवश्यकता है और उस के लिए डायरैक्ट सैलिंग उन्हें सही प्लेटफौर्म लगता है. कुछ ऐसे उत्पाद होते हैं जिन्हें खरीदने से पहले दूसरों की सहमति या आश्वासन की आवश्यकता होती है, जैसे हैल्थ प्रोडक्ट्स. चूंकि अधिकांश हैल्थ सप्लीमैंट्स की कीमत 500 रुपए या अधिक होती है और लोग हैल्थ के मामले में कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं. इसलिए वे इन्हें डायरैक्ट सैलिंग कंपनियों से लेना पसंद करते हैं.

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