आम आदमी यह खबर सुन कर खुश होता है कि उस के इलाके में सड़क आ रही है. नई रेललाइन बिछ रही है और रेलवे स्टेशन बन रहा है या हवाई पट्टी का निर्माण हो रहा है. खबर पाते ही प्रस्तावित निर्माण क्षेत्र के आसपास जमीन के दाम बढ़ने लगते हैं और वह क्षेत्र शहरीकरण की तरफ एक कदम और आगे बढ़ जाता है.

इस तरह सोचने वाले लोगों को यह आंकड़ा देख कर निराशा होगी कि देश में 32 हवाई अड्डे ऐसे हैं जिन का संचालन निष्क्रिय पड़ा हुआ है. इन हवाई अड्डों के निर्माण और देखरेख का काम भारतीय विमानन प्राधिकरण करता है. इन हवाई अड्डों का संचालन पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. इन के अलावा 6 हवाई अड्डे ऐसे हैं जहां दिन में सिर्फ एक ही उड़ान का संचालन होता है जबकि 9 में प्रतिदिन 2 तथा 6 में 3 से 4 उड़ानों का दैनिक संचालन होता है.

सरकार को घरेलू उड़ानों के नैटवर्क को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. यह काम तब ज्यादा संभव है जब कम भाड़ा चार्ज करने वाली विमान कंपनियों के विमानों को आसमान में उड़ने की सहूलियत मिले. सरकार शायद इस दिशा में काम भी कर रही है लेकिन उस की रफ्तार बहुत धीमी है.

अगले 3 वर्षों में सरकार की योजना इस तरह की विमान कंपनियों के लिए 400 करोड़ रुपए जुटाने की है लेकिन यह योजना तब ही सफल हो सकती है जब आम आदमी के लिए हवाई सफर की दिशा में ईमानदारी से काम शुरू होगा.

 

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