वाणिज्य और उद्योग मंडल यानी फिक्की ने एक सर्वेक्षण कराया है जिस के आधार पर स्वास्थ्य बीमा विजन 2020 तैयार किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते प्रदूषण और बदलते माहौल को देखते हुए अगले 7 सालों में देश की 80 फीसदी आबादी को स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में लाया जाना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाल के वर्षों में लोगों में भी स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागृति आई है और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में वृद्धि दर 30 प्रतिशत दर्ज की गई है.

महानगरों में दूषित पर्यावरण तेजी से बढ़ रहा है. छोटे नगरों में प्रदूषण नहीं है. वहां की आबोहवा निर्मल है. वहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी नगण्य हैं, फिर भी लोग कम बीमार होते हैं. भीड़भाड़ भी कम है. इस के ठीक विपरीत महानगरों का जीवन प्रदूषण के कारण दूभर होता जा रहा है. लोगों में जुकाम, बुखार, खांसी जैसी सामान्य बीमारियां आम हो रही हैं और इस पर बड़ा पैसा खर्च करना पड़ रहा है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इन मामूली बीमारियों पर बढ़ रहे खर्च के कारण लोगों ने स्वास्थ्य बीमा योजना को तेजी से स्वीकार किया है. इसी का परिणाम है कि इन सामान्य बीमारियों के स्वास्थ्य बीमा दावों में पिछले कुछ माह में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद में अप्रैलसितंबर के दौरान पिछले साल के 10 फीसदी की तुलना में स्वास्थ्य बीमा दावों की संख्या बढ़ कर 30 फीसदी हो गई है.

मौसम बदलने व दूसरे कई कारणों से होने वाली सामान्य बीमारियों के आधार पर दावों पर यह आंकड़ा तैयार किया गया है.

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