दुनियाभर में त्योहार अब बाजार बन गए हैं. बाजार ने त्योहारों की चकाचौंध को बढ़ा दिया है. दीवाली भारत के सब से खास त्योहारों में एक है. रोशनी के इस त्योहार को पूरा देश एकसाथ मनाता है. इस में घर के रंगरोगन से ले कर साजसज्जा तक को बदल दिया जाता है. छोटे से बड़े हर परिवार में दीवाली को अपनी सामर्थ्य के हिसाब से मनाने का रिवाज है. कपड़े, गहने, बरतन, मिठाइयां, पटाखे, बिजली की सजावट, उपहार और मेकअप सबकुछ बदल जाता है. दरअसल, दीवाली एक दिन का त्योहार नहीं है. यह कई दिनों तक चलता है. दीवाली में बढ़ती खरीदारी को देखते हुए उद्योग जगत इस की तैयारी बहुत पहले से कर लेता है. दीवाली आते ही केवल बाजार ही नहीं शेयर बाजार तक में उछाल आ जाता है.

भारत में दीवाली के बाजार की शक्ल बदलने का सब से बड़ा काम चीन ने किया है. चीन ने भारत के इस त्योहार की कीमत को समझते हुए ऐसे उत्पाद तैयार किए हैं जिन्हें भारत के बाजार ने हाथोंहाथ लिया. इस में बिजली की सजावट के लिए प्रयोग में आने वाली झालर, बल्ब, पटाखे, खिलौने और तमाम तरह के सामान चीन के बाजार से भारत में आने लगे. चीन ने भारत के बाजार की जरूरत को समझ कर चीजों को बनाने और उन को भारत के बाजार तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था कर के भारत के बाजार को अपने उत्पादों से भर दिया. दीवाली में चीन के बाजार की बढ़ती खपत का विरोध अब भारत के बाजार में शुरू हो गया है. चीन के सामानों की कीमत इतनी कम है कि भारत में बने सामान उस का मुकाबला ही नहीं कर पा रहे हैं. चीन के खराब होते आर्थिक हालात को भारत के बाजार से बहुत उम्मीदें हैं. दीवाली का मौका हो और रोशनी की बात नहीं हो तो यह कैसे हो सकता है. घर को जगमगाने के लिए पहले मिट्टी के दीये प्रयोग में लाए जाते थे. पहले इन दीयों में सरसों का तेल, डालडा और देशी घी का प्रयोग किया जाता था. हालांकि ज्यादातर इन दीयों को जलाने के लिए सरसों के तेल का ही प्रयोग किया जाता था. लेकिन अब दीयों की जगह कैंडिल और बिजली की झालर ने ले ली है. कैंडिल और बिजली की झालर से घरों को जगमगाने का काम खूब किया जाता है. यह सभी चीन के बाजार से तैयार हो कर भारत के बाजार में छाए हुए हैं.

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