राजनीतिक दलों के लिए कंपनियों से चंदा जुटाने की राह पर कंपनी मामलों के मंत्रालय ने लगाम कसी है. मंत्रालय ने यह कदम आम चुनाव की घोषणा होने से महज चंद दिन पहले उठाया है. राजनीतिक दल अब तक कंपनियों से सामाजिक दायित्व के तहत यानी कौर्पोरेट सोशल रिस्पौंसिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत दी जाने वाली रकम का फायदा चुनाव खर्च के लिए उठाते थे. इस व्यवस्था के तहत कंपनियों को अपने शुद्ध लाभ का 2 फीसदी सामाजिक कार्यों में खर्च करना होता है जिस पर उन्हें कर में छूट मिलती है.

दरअसल, कंपनियां इस पैसे का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों के बजाय राजनीतिक दलों को चंदा देने पर करती थीं और बदले में कर में छूट लेती थीं और सामाजिक लाभ उसे बोनस में मिलते थे. इधर आम चुनाव को देखते हुए इस पैसे की फुजूलखर्ची को रोकने के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 27 फरवरी को एक अधिसूचना जारी की जिस में व्यवस्था है कि राजनीतिक दलों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से दिया गया पैसा सीएसआर के दायरे में नहीं आएगा. मतलब कि जो भी खर्च सीएसआर के तहत होगा वह शुद्ध सामाजिक कार्यों के लिए ही होगा. राजनीतिक दलों को समाज सेवा के नाम पर दिया गया चंदा सीएसआर खर्च नहीं माना जाएगा.

राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए कौर्पोरेट को विकल्प दिया गया है कि कंपनियां चाहें तो इलैक्ट्रोल ट्रस्ट बनाएं और राजनीतिक दलों का चंदा उस में डाल दें. कंपनियों से कहा गया है कि उन की कोई शाखा यदि देश से बाहर काम कर रही है तो उस से हुई कमाई का लाभ भारत में हुई कमाई से नहीं जोड़ा जाएगा. इस का मतलब यह कि कंपनियों ने भारत में जो लाभ कमाया है उस के 2 फीसदी हिस्से को भारत के सामाजिक सरोकारों पर ही खर्च करना पड़ेगा.

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