शेयर बाजार में सीरिया संकट के कारण मची उथलपुथल के बीच रिजर्व बैंक औफ इंडिया के नए गवर्नर रघुराम राजन के पदभार संभालने के बाद से जो रौनक लौटी उस की किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. शेयर बाजार वित्त मंत्री के सुधार के उपाय किए जाने की घोषणा और प्रधानमंत्री की तरफ से आर्थिक सुधारों के लिए संसद में कड़े कदम उठाने की घोषणा से प्रभावित नहीं हुआ लेकिन जैसे ही नए गवर्नर ने पदभार संभाला, बाजार में रौनक लौट आई और कई दिनों से खून के आंसू बहा रहा शेयर बाजार खुशियों से झूम उठा.

संसद के आखिरी दिन 6 सितंबर को जब संसद में पूरक अनुदान मांगों को पारित कराने के लिए लोकसभा में बहस चल रही थी तो कई दिनों से 17 और 18 हजार अंक के बीच झूल रहा शेयर बाजार का सूचकांक 19 हजार के पार चला गया. यह सप्ताहभर तक गिरावट से जूझ रहे बाजार में सप्ताह का भी आखिरी कारोबारी दिन था.

ऐसा कम देखने को मिलता है कि अर्थव्यवस्था का कोई नया प्रहरी आए और उसे परखे बिना ही बाजार का संवेदी सूचकांक उस के सम्मान में इस कदर उछाल भरे. 3 सितंबर को देश की ऋण साख घटने के भय से उदास निवेशकों ने जम कर लिवाली की जिस के कारण बाजार 650 अंक तक लुढ़क गया, निफ्टी भी करीब 250 अंक तक लुढ़क गया. इस से पहले रिकौर्ड स्तर पर बाजार उतर आया था. इस की बड़ी वजह सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बाद अमेरिकी नेतृत्व द्वारा उस के खिलाफ हमले की तैयारी को बताया गया. भारत की दुनिया की रेटिंग एजेंसियों द्वारा गिराई जा रही साख भी इस पर भारी पड़ रही थी और बाजार में हाहाकार मचा हुआ था लेकिन नए गवर्नर ने ऐसी उम्मीद जगाई कि पूरे बाजार में दीवाली का सा माहौल बन गया और सूचकांक झूम उठा. जानकारों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बाजार में इसी तरह की रौनक बनी रहेगी और नए गवर्नर पर बाजार ने जो विश्वास जताया है, वह बरकरार रहेगा.

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