बैंकों से क्रैडिट कार्ड सूची चोरी होने की खबर पर पूरे देश में बवाल मचा है. प्रत्येक घरपरिवार में चिंता की लहर है. बैंकों में घोटाले पहले भी हुए हैं लेकिन इस घटना को ले कर जनमानस की चिंता पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा है. इस की बड़ी वजह यह है कि आज बैंक खाते चिंता करने वाले सभी लोगों के पास हैं और खाताधारक एटीएम कार्ड भी लिए हैं. एटीएम कार्ड या क्रैडिट कार्ड के पासवर्ड बैंकों से चोरी हुए हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि खूनपसीने की कमाई के बैंक में सुरक्षित होने की निश्चिंतता में बैठे ग्राहक अब चिंतित हैं.

चिंताग्रस्त ग्राहकों को अभी पता ही नहीं है कि किस के खाते से कितना पैसा गायब हुआ है. गायब हुए पैसे का विस्तृत विवरण बैंकों ने सार्वजनिक नहीं किया है और न ही किसी खाताधारक को इस की सूचना दी है.

बैंक कितने असुरक्षित हो गए हैं, इस की यह घटना बड़ा उदाहरण बन कर सामने आई है. एटीएम में कार्ड में हेराफेरी और सीधेसाधे लोगों के खातों से ठगों द्वारा पैसा निकालने की घटनाएं आम हो गई हैं.

निश्चितरूप से यह बैंकों की लापरवाही का परिणाम है. इसलिए ग्राहकों का पैसा बैंकों द्वारा ही भरा जाना चाहिए. रिजर्व बैंक भी इसे बैंकों के स्तर पर हुई गलती मान रहा है और उस ने बैंकों को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए कहा है. ऐसा नहीं हो सकता कि कोई हमारी अमानत हम से सुरक्षित रखने के नाम पर अपने पास रखे और बाद में कह दे कि वह गायब हो गई है, इसलिए लौटा नहीं सकते. हो सकता है कि बैंक ग्राहकों का पैसा डकारने के लिए सूची चोरी होने की बात कह रहे हों. ग्राहक को तो खाते में पैसा चाहिए, उसे आप के फ्रौड से लेनादेना नहीं है. 

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