अमेरिकी राहत पैकेज को कम करने की घोषणा दुनियाभर के शेयरबाजारों के लिए संवेदनशील साबित हुई है और इस घोषणा के बाद दुनियाभर के बाजार धड़ाम से गिर गए. दूसरा असर जनवरी में ऊंचाई का नया रिकौर्ड कायम करने वाले भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा और रिकौर्ड ऊंचाई हासिल करने के महज कुछ ही सत्रों के बाद बौंबे बाजार यानी बीएसई का सूचकांक 26 जनवरी को 21 हजार के स्तर से गिर गया. बाजार का सूचकांक 427 अंक टूटा और सूचकांक 5 माह के न्यूनतम स्तर पर चला गया. बाजार में 3 सितंबर के बाद की यह सब से बड़ी गिरावट रही है.

इस के एक दिन बाद, 27 जनवरी को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई का हवाला दे कर अल्पकालिक ऋण दरों में एकचौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी. इस का सीधा असर बाजार पर पड़ा और सूचकांक 620 अंक टूट गया. दूसरी तरफ 2013 में बुनियादी उद्योग की विकास दर भी 2.1 प्रतिशत रही, जो पिछले 10 साल में सब से कम है, उस का भी बाजार पर बुरा असर हुआ. रुपया भी इस दौरान इस सप्ताह के न्यूनतम स्तर पर रहा.

बाजार में गिरावट का यह सिलसिला फरवरी में भी जारी रहा और 3 फरवरी को बाजार 305 अंक फिसल गया. इस के 2 दिन बाद लगातार 8 सत्र की गिरावट के बाद बाजार में कुछ सुधार हुआ लेकिन देखना यह है कि यह स्थिति कब तक बनी रह सकती है.       

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