निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की यह फिल्म वर्ष 2011 में आई ‘साहिब, बीवी और गैंगस्टर’ का सीक्वल है. निर्देशक ने जहां पहला भाग खत्म किया था, वहीं से इसे आगे बढ़ाया है.
निर्देशक ने फिल्म के किरदारों को संवादों के सहारे संभाले रखा है. दर्शक बंधे रहते हैं. फिल्म की कहानी राजेरजवाड़ों की है. भारत में राजेरजवाड़े तो अब नहीं रहे लेकिन उन में अभी भी ठसक बाकी है, वे खुद को राजा साहब कहलवाना पसंद करते हैं.

कहानी पिछले भाग से आगे बढ़ती है. राजा साहब उर्फ आदित्य प्रताप सिंह (जिमी शेरगिल) चलनेफिरने लायक नहीं रह गया है लेकिन स्टेट की बागडोर अभी भी उसी के हाथों में है. उस की बीवी माधवी (माही गिल) हर वक्त नशे में धुत्त रहती है. आदित्य प्रताप सिंह उस की उपेक्षा करता है. एक दिन रानी मां अपने बेटे आदित्य प्रताप को सलाह देती हैं कि वह बिरेंद्र प्रताप (राज बब्बर) की बेटी रंजना (सोहा अली खान) से शादी कर ले जबकि रंजना इंद्रजीत सिंह (इरफान खान) से प्यार करती है. इंद्रजीत सिंह को आदित्य प्रताप से खानदानी दुश्मनी का बदला लेना है. रंजना का पिता अपनी बेटी की शादी आदित्य प्रताप से करने के लिए मना करता है तो आदित्य प्रताप उसे ब्लैकमेल कर मजबूर कर देता है.

इसी दौरान माधवी की मुलाकात इंद्रजीत से होती है. दोनों में जिस्मानी संबंध बन जाते हैं. इंद्रजीत माधवी को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करता है. वह चुनाव जीत जाती है. अब वह आदित्य प्रताप की नाक में दम कर देती है. आदित्य प्रताप के सारे दोस्त भी उस के खिलाफ हो जाते हैं. लेकिन अचानक एक दिन आदित्य प्रताप व्हीलचेयर से उठ खड़ा होता है और सारी बाजी पलट देता है. आदित्य प्रताप को अपने रास्ते से हटाने के लिए माधवी इंद्रजीत को मोहरा बनाती है. इंद्रजीत खुद को गोली मार लेता है. इलजाम राजा साहब पर लगता है. पुलिस उसे पकड़ कर ले जाती है.

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