भारतीय शिक्षा प्रणाली को लेकर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं. कुछ वर्ष पहले राज कुमार हिरानी व विधु विनोद चोपड़ा शिक्षा प्रणाली पर कटाक्ष करने वाली बेहतरीन फिल्म ‘‘थ्री इडियट्स’’ लेकर आए थे. अब शिक्षा प्रणाली पर ही कटाक्ष करने वाली फिल्म ‘‘रफ बुक’’ लेकर आए हैं फिल्मकार अनंत नारायण महादेवन. अति सुंदर लोकेशन पर फिल्मायी गयी फिल्म ‘‘रफ बुक’’ में फिल्मकार ने वर्तमान परिवेश में रखते हुए मोबाइल व गूगल सर्च की बात करते हुए शिक्षा के मायने समझाने का प्रयास किया है, पर वह अपनी इस फिल्म में इस अति संजीदा विषय पर कुछ नया नहीं कह पाए.

फिल्म की कहानी के केंद्र में फिजिक्स यानी कि भौतिक शास्त्र की शिक्षक संतोषी (तनिष्ठा चटर्जी) हैं. वह पुस्तक प्रेमी हैं. जिनके पति प्रदीप (विनय जैन) इंकम टैक्स विभाग में हैं. वह एक स्कूल में फिजिक्स पढ़ा रही हैं. सब कुछ ठीक चल रहा होता है. मगर अचानक संतोषी की जिंदगी में तूफान आ जाता है, जब उनके घर में इनकम टैक्स का छापा पड़ता है और उनकी किताबों के पीछे उनके पति प्रदीप द्वारा छिपाए गई नकद रकम बरामद होती है. इससे वह आहत होकर अपने पति प्रदीप को तलाक देने का निर्णय लेकर अपनी मां (सुहासिनी मुले) के पास चली जाती हैं, जहां उनकी मां छोटे बच्चों को पढ़ाती हैं. पर संतोषी की मां उसे समझाकर वापस शहर भेज देती है कि स्थितियों को सुधारने का प्रयास किए बिना हार मान लेना गलत है.

तब संतोषी पुनः वापस शहर आ जाती है. इस बार उसकी यात्रा बहुत कठिन दौर से गुजरती है. पर इस बार उसे दूसरे कालेज में नौकरी मिलती है. जहां उसे 12वीं कक्षा के उन विद्यार्थियों को पढ़ाने का जिम्मा मिलता है, जो कि 40 से 45 नंबर से पास होते आए हैं ,जिनकी पढ़ने में रूचि ही नही है. इस कालेज के प्रिंसिपल सहानी (कैजाद काटवाल) की शिक्षा को लेकर अलग सोच है. वह चाहते हैं कि हर साल उनक स्कूल के ही विद्यार्थी टॉप पर आए. इसीलिए उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा में पाए गए नंबरों के अनुसार अलग अलग डिवीजन बनाए हैं.

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