नब्बे के दशक में मुंबई में लगातार कई हत्याएं करने वाले रमन राघव की कथा पर अनुराग कश्यप ने एक नई अपराध कथा को अपनी फिल्म ‘‘रमन राघव 2.0’’ में लेकर आए हैं. जिसमें रमन व राघव दो पात्र बना दिए हैं. रमन सीरियल किलर है और राघव एक चरसी पुलिस आफिसर है, वह भी हत्याएं करता रहता है. जब फिल्म के लेखक व निर्देशक अनुराग कश्यप हों, तो दर्शक को मान लेना चाहिए कि यह डार्क फिल्म होने के साथ ही अपराध, चरस व सेक्स दृश्यों से भरपूर फिल्म होगी. सायकोपाथ किलर के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने कमाल की परफार्मेंस दी है, मगर महज नवाजुद्दीन के कंधों पर पूरी फिल्म कैसे चलेगी और वह भी तब जब अति कमजोर पटकथा व बेसिर पैर के सीन हों.

फिल्म की कहानी शुरू होती है, तो परदे पर दिखायी देता है कि तीन पुलिस के सिपाही रमन्ना उर्फ रमन (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) को पकड़ कर ले जाते हैं. उससे पूछते है कि  उसने कितनी हत्याएं की हैं. वह नौ की संख्या बताता है. उसके बाद भी पुलिस के सिपाही रमन की पिटाई कर उसे उसी के मकान में बंद करके चले जाते हैं. तीन दिन बाद रमन किक्रट खेलने आए बच्चों की मदद से खुद को छुड़ाने में कामबयाब हो जाता है. तब पता चलता है कि रमन ने पहली हत्या एक चरस गांजा बेचने वाले चाचा की थी. वहीं पर चरसी पुलिस अफसर राघवन (विक्की कौशल) पहुंचता है. रमन छिपकर उसकी हरकत देखता रहता है.

राघवन वहां से चरस व गांजे के पैकेट चुराता है, उसी वक्त वहां एक पड़ोसी आ जाता है, जिसकी हत्या राघवन कर देता है, फिर खुद ही सबूत मिटा कर चला जाता है. उस वक्त रमन सोचता है कि उसे उसका साथी राघव मिल गया. उसके बाद से राघवन, सीरियल किलर रमन्ना का पीछा करना शुरू करता है.

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