यह फिल्म मर्डर सीरीज की पिछली 2 फिल्मों का सीक्वल जरूर है परंतु पिछली फिल्मों से इस का कुछ लेनादेना नहीं है. कहानी एकदम अलग है. पिछली 2 फिल्मों जैसा न तो इस का संगीत है, न ही अभिनय पक्ष जानदार है.

इस फिल्म में मुकेश भट्ट ने विदेश से फिल्म मेकिंग की तालीम ले कर लौटे अपने बेटे विशेष भट्ट को बतौर डायरैक्टर लौंच किया है. लेकिन उस ने इस फिल्म में कुछ नया कर के नहीं दिखाया है. ‘मर्डर-3’ स्पैनिश फिल्म ‘दि हिडन फेस’ पर आधारित है. बाकायदा इस फिल्म के अधिकार ले कर इसे बनाया गया है.

कहानी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर विक्रम (रणदीप हुड्डा) और उस की प्रेमिका रोशनी (अदिति राव हैदरी) की है. रोशनी पेशे से आर्किटैक्ट है. दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं. एक दिन विक्रम को मुंबई में एक नामी ऐड एजेंसी के साथ काम करने का औफर मिलता है. वह रोशनी के साथ मुंबई आता है और शहर से दूर सुनसान इलाके में एक बंगला खरीदता है. एक दिन अचानक एक वीडियो मैसेज छोड़ कर रोशनी गायब हो जाती है. दरअसल, वह घर में ही बने एक गुप्त कमरे में खुद को बंद कर लेती है जहां अंदर से तो वह घर में हो रही हर गतिविधि को देख सकती है परंतु उसे कोई नहीं देख सकता. उस गुप्त कमरे में जाते वक्त उस के बैग से उस कमरे की चाबी बाहर कहीं गिर जाती है. वह वहां कैद हो कर रह जाती है. पुलिस तहकीकात करती है परंतु रोशनी नहीं मिलती.

एक दिन विक्रम की मुलाकात निशा (सारा लारेन) नाम की खूबसूरत युवती से होती है. दोनों में प्यार हो जाता है. विक्रम उसे अपने घर ले आता है. घर में आते ही निशा को कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई पड़ती हैं. कुछ दिनों बाद उसे एहसास होता है कि रोशनी घर में ही कहीं कैद है. वह गुप्त कमरे की चाबी ढूंढ़ती है और कमरे को खोलती है जहां रोशनी आंखें बंद किए लेटी है. अचानक रोशनी निशा को थप्पड़ मार कर कमरे से बाहर निकल जाती है और उसे वहीं मरने के लिए छोड़ कमरा बंद कर चली जाती है. वह विक्रम से नाता तोड़ लेती है. अब पुलिस को तलाश है निशा की.

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