इस अटपटे शीर्षक पर आप हैरान न हों. ‘काय पो छे’ गुजराती भाषा का शब्द है. पतंग उड़ाते वक्त जब किसी की पतंग कट जाती है तो काटने वाले अपनी जीत स्वरूप ‘काय पो छे’ उच्चारित कर अपनी खुशी जाहिर करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे उत्तर भारत में ‘आई बो काटा’ कह कर खुश होते हैं. अब आप यह सोच रहे होंगे कि फिल्म पतंगबाजी पर होगी लेकिन इस फिल्म में सिर्फ पतंगबाजी ही नहीं है और भी बहुतकुछ है जो आप को अच्छा लगेगा, आप की आंखें नम कर देगा. आप को बहुतकुछ सोचने पर मजबूर कर देगा.

‘काय पो छे’ चेतन भगत के बहुचर्चित उपन्यास ‘द थ्री मिस्टेक्स औफ माई लाइफ’ पर आधारित है. चेतन भगत के ही एक अन्य उपन्यास पर ‘थ्री इडियट्स’ फिल्म पहले ही बन चुकी है. फिल्म ‘काय पो छे’ में भले ही नामी सितारे न लिए गए हों लेकिन निर्देशक अभिषेक कपूर की मेहनत फिल्म में साफ दिखाई पड़ती है. फिल्म ‘रौक औन’ की सफलता के बाद अभिषेक कपूर ने इस फिल्म के लिए एकदम नया सब्जैक्ट चुना है.

दोस्ती की मिसाल पेश करती इस फिल्म में मसाले नहीं डाले गए हैं, फिर?भी यह दर्शकों को कुछ हद तक बांधे रखती है. निर्देशक अभिषेक कपूर को इस फिल्म को बनाने में 5 साल लगे हैं. उस ने पटकथा पर काफी मेहनत की है. इसीलिए फिल्म इतनी बेहतर बन पड़ी है.  कहानी गुजरात के एक शहर में रहने वाले गोविंद (राजकुमार यादव), ओमी (अमित साध) और ईशान (सुशांत सिंह राजपूत) नाम के 3 दोस्तों की है. तीनों दोस्त मिल कर एक स्पोर्ट्स एकेडमी खोलना चाहते हैं, साथ ही वहां वे स्पोर्ट्स का सामान भी बेचना चाहते हैं. ईशान खुद एक बढि़या क्रिकेट खिलाड़ी है, पर उस की प्रतिभा को दबा दिया गया है. वह क्रिकेट के उभरते बाल खिलाडि़यों को कोचिंग दे कर उन्हें अच्छा खिलाड़ी बनाना चाहता है. तीनों दोस्त एक दुकान खरीदते हैं. उन का धंधा चल निकलता है. तभी ईशान को एक मुसलिम छात्र अली में धुआंधार बल्लेबाजी के गुण नजर आते हैं. वह उसे जीजान से ट्रैंड करता है.

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