फिल्म में नायकनायिका का खुल कर रोमांस हो तो दर्शकों को अच्छा लगता है. इसीलिए युवा जोडि़यों को ले कर बनी रोमांटिक फिल्में खूब चलती हैं. ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ में परदे पर काजोल और शाहरुख खान का रोमांस दर्शकों को इतना भाया कि फिल्म सुपरडुपर हिट हो गई.

आज भी कई फिल्मों में ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ के रोमांटिक सींस को बारबार दोहराया जाता है. फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुलहनिया’ भी एक रोमांटिक फिल्म है जो ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ से प्रेरित है. इस लव स्टोरी में कोई संदेश तो नहीं है, फिर भी बहुत से युवा और किशोर इस के साथ खुद को रिलेट करने लगते हैं. निर्देशक शशांक खेतान ने बौलीवुड के बहुचर्चित प्यार के फार्मूले को युवा पीढ़ी के लिए मनोरंजक तरीके से इस्तेमाल किया है.

फिल्म की कहानी अंबाला शहर की रहने वाली एक बोल्ड युवती काव्या (आलिया भट्ट) की है. वह अपनी शादी पर 5 लाख रुपए का लहंगा पहनना चाहती है. लहंगा खरीदने के लिए वह अकेली ही दिल्ली आती है, जहां उसे अपनी सहेली की शादी भी अटैंड करनी है. दिल्ली में उस की मुलाकात राकेश उर्फ हम्प्टी शर्मा (वरुण धवन) से होती है. हालांकि काव्या हम्प्टी को बता देती है कि उस की शादी एक एनआरआई लड़के अंगद (सिद्धार्थ शुक्ला) से होने वाली है. फिर भी दोनों में प्यार हो जाता है.

दिल्ली में कुछ द न रह कर काव्या अंबाला लौट जाती है. हम्प्टी शर्मा भी अपने 2 दोस्तों शोंटी (गौरव पांडेय) और पोपलू (साहिल वैद) के साथ अंबाला पहुंच जाता है. वह काव्या के पिता (आशुतोष राणा) के सामने काव्या के साथ प्यार का इजहार करता है परंतु वे इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हैं.

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