‘‘वंशवाद’’ ही सर्वश्रेष्ठ है. इस बात को रेखांकित करने वाली फिल्म का नाम है-‘‘सरकार 3’’. जो कि राम गोपाल वर्मा निर्देशित फिल्म ‘‘सरकार’’ का यह तीसरा सिक्वअल है. फिल्म के शुरू होते ही निर्देशक ने सुभाष नागरे उर्फ सरकार को चीकू के पेड़ को पानी देते हुए दिखाया है. और यह सीन फिल्म में कई बार आता है. इसी से यह बात साफ हो जाती है कि सरकार नाटक कर रहे हैं, असल में तो वह अपने पोते शिवाजी नागरे उर्फ चीकू को तैयार कर रहे हैं.

कहानी के केंद्र में सुभाष नागरे उर्फ सरकार (अमिताभ बच्चन) ही हैं. इस वक्त वह कई दुश्मनों से घिरे हुए हैं. उनके धुर विरोधी माइकल वाल्या (जैकी श्राफ) और राजनीतिज्ञ गोविंद देशपांडे (मनोज बाजपेयी) एक उद्योगपति गांधी को आगे कर सुभाष नागरे का प्रभुत्व खत्म करना चाहते हैं. इनके साथ अनु करकरे (यामी गौतम) है. गांधी को लगता है कि अनु करकरे अपने पिता की मौत के लिए सुभाष नागरे को ही जिम्मेदार मानती है और वह अपने पिता की मौत का बदला उनसे लेना चाहती है. तो दूसरी तरफ सुभाष नागरे का अपना पोता शिवाजी नागरे उर्फ चीकू (अमित साध) है. राजनीतिक उठापटक भी तेज गति से चल रही है. इससे सुभाष  नागरे उर्फ सरकार को अपना प्रभुत्व डगमगाता नजर आ रहा है. पर वह डरते नहीं हैं. लोगों की नजर में एक दिन सुभाष नागरे अपनी बीमार पत्नी पुष्पा (सुप्रिया पाठक) के कहने पर पोते शिवाजी नागरे उर्फ चीकू को अपने साथ आकर रहने की इजाजत दे देते हैं. इससे सरकार के अति निकटतम सहयोगी गोकुल साटम (रोनित राय) को असुरक्षा सताने लगती है. गोकुल साटम के चलते नेता गोविंद देशपांडे मारे जाते हैं. उधर गोकुल साटम इसका आरोप चीकू पर लगाता है, तो दूसरी तरफ वह सरकार को खत्म करने में गांधी की मदद करने का आश्वासन दे देता है. इसकी भनक सरकार को लग जाती है. पर सरकार, गोकुल कीबात पर यकीन करने का नाटक कर चीकू को घर से बाहर कर देते हैं.

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