फिल्म ‘बाहुबली 2 : कंकल्यूजन’ की वापसी इस सवाल के साथ हुई है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? इसी के साथ यह सवाल भी है कि राजमाता शिवागामी (रमैया कृष्णन) ने भल्लाल देव (राणा डग्गूबटी) की बजाय अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) को महिस्पति के राज सिंहासन पर बैठाने के निर्णय क्यों बदला?

राज सत्ता का सुख भोगने की लालसा में धर्म व अधर्म की व्याख्या बदलने व राजनीतिक साजिशों, इंसानी छल कपट, स्वार्थपूर्ति के लिए अपने भाई के खून के प्यासे इंसान की कहानी है ‘‘बाहुबली’’. इसे आधुनिक युग में ‘महाभारत’ की व्याख्या भी कह सकते हैं. ‘महाभारत’ में पुत्र मोह से ग्रसित धृष्टराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन की कपट व साजिशों को न समझकर हस्तिनापुर के सर्वनाश का असली कारण बनते हैं. जबकि ‘बाहुबली’ में महिस्पति की राजमाता शिवागामी अपने पति बिज्जल देव तथा अपने बेटे भल्लाल देव के कपट व साजिश को नहीं समझ पाती है और जब उन्हें इस सच का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

फिल्म शुरू होती है गाने के साथ. गाने के साथ ही परदे पर चित्रों के माध्यम से बाहुबली एक की कथा बयां हो जाती है. अब कई दृश्यों से बाहुबली की वीरता के अलावा उनका राजमाता शिवागामी के प्रति प्यार व समर्पण और महिस्पति राजसिंहासन की सुरक्षा का भाव प्रकट होता है. विजयादशमी को अमरेंद्र बाहुबली का राजतिलक होने से पहले प्रजा के सुख दुख को समझने के लिए अमरेंद्र बाहुबली राज माता के आदेश से कटप्पा (सत्यराज) के साथ देश भ्रमण पर निकलते हैं. और कुंतल राज्य की राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) की वीरता पर लट्टू हो मामा भांजे आम इंसान की तरह उनके साथ हो जाते हैं. इधर भल्लाल देव के जासूस यह खबर उसे देते हैं तो वह राजमाता से पत्नी के रूप में देवसेना की मांग कर देता है. राजमाता कुंतल राजा के पास प्रस्ताव भेजती है, पर राजकुमारी देवसेना उनके प्रस्ताव को ठुकरा देती हैं.

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