फिल्म ढिशुम देखते हुए दिमाग में एक सवाल उठा कि फिल्म निर्देशक रोहित धवन ने यह फिल्म दर्शकों के लिए बनायी है या सरकार के साथ पीआर बढ़ाने के लिए. फिल्म में पुलिस अफसर जुनैद अंसारी का किरदार निभा रहे अभिनेता वरूण धवन का संवाद है, ‘कमाता हूं दिरहम में, लेकिन खर्चता हूं रुपए में. खाता हूं इनकी, लेकिन सुनता हूं सिर्फ मोदी जी की.’

तो वहीं फिल्म में भारतीय विदेश मंत्री का किरदार निभा रही अभिनेत्री को पूरी तरह से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का ही गेटअप दिया गया है. उनकी चाल-ढाल की भी नकल करने का प्रयास किया गया है. पर फिल्मकार ने फिल्म के शुरू होते ही कहा है कि उनकी तरफ से ऐसा कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया. मगर फिल्म खत्म होने पर भी हमारे दिमाग में उठे सवाल का जवाब नहीं मिला. मगर फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी वजह से दर्शक को अपनी गाढ़ी कमाई इस फिल्म को देखने के लिए खर्च करने को कहा जा सके.

फिल्म की कहानी भारतीय क्रिकेटर विराज शर्मा के अपहरण से शुरू होती है. विराज का अपहरण एक बुकी वागा यानी कि अक्षय खन्ना ने किया है. उसे चार सौ करेाड़ का नुकसान हो चुका है. वह चाहता है कि विराज ऐसा खेले जिससे फाइनल मैच में भारत से पाकिस्तान जीत जाए. पर विराज तैयार नहीं होता. उधर भारतीय विेदेश मंत्री विराज की तलाश के लिए जांबाज अफसर कबीर यानी जॉन अब्राहम को भेजती है. मिडल इस्ट में एक नया पुलिस अफसर जुनैद अंसारी यानी वरूण धवन मिलकर विराज की तलाश शुरू करते हैं. इनकी मदद के लिए एक चोर इशिका यानी जैकलीन फर्नाडिस भी आ जाती है. फिर कई घटनाक्रम घटित होते हैं. भारत सरकार बुकी वागा के बैंक खाते में पांच सौ करोड़ भी जमा कर देती है. पर बुकी चाहता है कि विराज शर्मा मारा जाए. लेकिन जुनैद अंसारी और कबीर विराज को क्रिकेट के मैदान में पहुंचाने के साथ ही बुकी वागा को भी गिरफ्तार कर लेते हैं.

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