न तो यह पीरियड फिल्म है न ही इस का मुगल सल्तनत के शासक औरंगजेब से कुछ लेनादेना है. फिल्म पूरी तरह से ऐक्शनथ्रिलर है. फिल्म में औरंगजेब जैसी बादशाहत भी नहीं है. दांवपेंच जरूर ऐसे हैं जिन के जरिए भाइयों, रिश्तेदारों और दोस्तों को भी मारना पड़ता है. साजिशों, धोखाधड़ी और कत्लों के बीच पनपते रिश्तों को फिल्म में दिखाया गया है.

फिल्म का विषय नोएडा के आसपास के क्षेत्र, जहां ऐक्सप्रैसवे बना है, की जमीनों को रसूखदार आदमियों द्वारा औनेपौने दामों पर किसानों से ले कर करोड़ोंअरबों रुपए कमाना है. दिल्ली एनसीआर में रियल एस्टेट सैक्टर में कितनी धांधलियां हो रही हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. बिल्डर माफिया ने रातोंरात अपने एंपायर खड़े कर लिए हैं.

फिल्म का विषय नया तो नहीं है लेकिन निर्देशक अतुल सभरवाल ने फिल्म का ट्रीटमैंट ऐसा किया है कि दर्शक कुछ हद तक बंधे से रहते हैं. फिल्म की सिर्फ एक ही कमजोरी है. वह है कहानी का धीमा होना.

फिल्म का नायक बोनी कपूर का बेटा अर्जुन कपूर है. फिल्म ‘इशकजादे’ के बाद यह उस की दूसरी फिल्म है. अपनी पहली फिल्म में भी उस ने काफी अच्छा अभिनय किया था. इस फिल्म में उस की दोहरी भूमिका है जिसे उस ने बबूखी निभाया है. इस फिल्म से यह साफ हो गया है कि उस में दम है.

कहानी रियल एस्टेट का बिजनैस कर रहे यशवर्धन सिंह (जैकी श्रौफ) के साम्राज्य की है. उस का बेटा अजय (अर्जुन कपूर) शराबी और बिगड़ैल है. यशवर्धन का बिजनैस उस की पार्टनर नीना (अमृता सिंह) और उस का बेटा इंदर संभालते हैं.

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