पांच छह लड़कियां जब आपस में बतियाती हैं तो लड़कों या पुरुषों में यह उत्सुकता बनी रहती है कि वे क्या बातें करती हैं. यह फिल्म इसी विषय को दर्शाती है. यह शायद पहली फिल्म होगी जिस में कुछ लड़कियों को साथ रहते दिखाया गया है, वह भी कईकई दिनों तक. वे आपस में एकदूसरे से निजी बातें शेयर करती हैं, मौजमस्ती करती हैं, एकदूसरे को अपना दुखदर्द सुनाती हैं. निर्देशक पान नलिन ने हर लड़की (किरदार) को अपना दुखदर्द सुनाने का पूरा मौका दिया है. उस ने प्रत्येक किरदार की बातों को रोचकता से पेश किया है.
फिल्म की कहानी समाज में लड़कियों की हैसियत, उन के अधिकार, उन के संघर्ष को बयां करती है. फिल्म की कहानी शुरू तो होती है हंसतेखेलते वातावरण के साथ परंतु क्लाइमैक्स एक त्रासदी के साथ होता है.
फिल्म में कहा गया है कि घर की लड़कियों का सम्मान करना चाहिए. फिल्म में दिखाया गया है कि एक लड़की को जीवन में किस तरह उतारचढ़ावों से गुजरना पड़ता है.
कहानी 7 महिलाओं की है. सुरंजना (संध्या मृदुल) एक कंपनी की सीईओ है. जोआना (अमृत मघेरा) बौलीवुड में जाने का सपना पाले हुए है. मधुरीता (अनुष्का मनचंदा) अपने गानों का अलबम निकालना चाहती है. नरगिस (तनिष्ठा चटर्जी) सामाजिक कार्यकर्ता है. पामेला जसवाल (पवलीन गुजराल) शादी के बाद पारिवारिक कलह में उलझी है. फ्रीडा (सारा जेन डिआज) गोवा में रहती है. फ्रीडा की नौकरानी लक्ष्मी (राजश्री देशपांडे) है.
फिल्म की शुरुआत फ्रीडा द्वारा अपनी दोस्तों को अपने घर बुलाने से होती है. फ्रीडा अपनी दोस्त नरगिस से शादी करना चाहती है. एक दिन रात को सभी युवतियां पार्टी करने एक बीच पर जाती हैं. अचानक जोआना गायब हो जाती है. उस की लाश समुद्र किनारे मिलती है. उसे रेप कर मार कर फेंका गया था. सभी युवतियां रेपिस्ट व उन के साथियों को मार डालती हैं.