गेहूं की अच्छी व अधिक पैदावार लेने के लिए शुद्ध बीज का होना जरूरी है. लेकिन किसानों को हर साल शुद्ध बीज प्राप्त करने के लिए बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उन को या तो शुद्ध बीज प्राप्त नहीं होता या इस के लिए ज्यादा पैसा व समय खर्च करना पड़ता है. इन परेशानियों से बचने के लिए किसान एक बार किसी प्रमाणित संस्था जैसे कृषि विश्वविद्यालय, राज्य बीज विकास निगम व राष्ट्रीय बीज निगम से शुद्ध बीज ला कर अपने खेत में बिजाई कर के उसी से शुद्ध बीज तैयार कर के उस की शुद्धता को कई साल तक कायम रख सकते हैं. शुद्ध बीज कम से कम 98 फीसदी साफसुथरा होना चाहिए यानी इस में कचरा 2 फीसदी, खरपतवार 0.10 फीसदी व अन्य फसलों के बीज  0.10 फीसदी से ज्यादा नहीं होने चाहिए. इस बीज की जमाव शक्ति कम से कम 85 फीसदी और बीज में नमी 10-12 फीसदी तक होनी चाहिए.

गेहूं का शुद्ध बीज तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

खेत का चुनाव : शुद्ध बीज तैयार करने के लिए किसान ऐसा खेत चुनें, जिस की जमीन उपजाऊ हो और सिंचाई की सुविधाएं ठीक हों. साथ ही इस खेत में दूसरी फसलों के पौधे व खरपतवार नहीं होने चाहिए.

बीजों का उपचार : बीज यदि पहले से उपचारित नहीं हैं, तो उन में 2 ग्राम वीटावैक्स या बावस्टिन प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाएं ताकि खुली कांगमारी नामक बीमारी की रोकथाम हो सके. खुली कांगमारी, ध्वजपत्ता कांगमारी व करनाल बंट से बचाव के लिए 1 ग्राम रैक्सिल प्रति किलोग्राम बीज की दर से ले कर बीज उपचारित करें.

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