भारत सब्जी उत्पादन में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है. भारत में करीब 15 लाख हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की खेती की जाती है. टमाटर एक खास सब्जी है, जिसे साल भर उगाया जाता है. टमाटर की फसल में कीटों व रोगों से किसानों को काफी नुकसान होता है टमाटर की फसल को कीटों से करीब 40-50 फीसदी तक नुकसान होता है. कीड़ों से बचने के लिए उन की रोकथाम के बारे में जानकारी रखना बहुत जरूरी है. टमाटर में फलभेदक माहू, सफेद मक्खी, तंबाकू की सूंड़ी, पर्ण फुदका, पर्ण सुरंगक व मूल गं्रथि निमेटोड वगैरह कीड़ों का हमला ज्यादा होता है. यहां टमाटर की फसल को कीड़ों से बचाने के बारे में बताया जा रहा है. भारत में टमाटर की फसल को साल भर उगाया जा सकता है. यह सब्जी की खास फसल है. इस के बिना सब्जी अधूरी मानी जाती है. टमाटर में विटामिन सी की काफी मात्रा होती है. टमाटर का इस्तेमाल सब्जियों में डालने के अलावा सूप, सौस, चटनी व सलाद बनाने में किया जाता है. टमाटर की फसल किसानों को अच्छी आमदनी के साथसाथ रोजगार का मौका भी देती है.

पेश है टमाटर में लगने वाले कीड़ों व उन से बचाव की पूरी जानकारी :

फलभेदक (हेलिकोवरपा आर्मीजेरा)

पहचान : इस कीट का वयस्क मध्यम आकार का व पीलेभूरे रंग का होता है. इस के अगले पंखों पर भूरे रंग की कई धारियां होती हैं, जिन पर सेम के आकार के छोटेछोटे काले धब्बे पाए जाते हैं. निचले पंखों का रंग सफेद होता है, जिन की शिराएं स्पष्ट रूप से काली दिखाई देती हैं और बाहरी किनारों पर चौड़ा धब्बा होता है. इस कीट की मादा पत्तियों की निचली सतह पर हलके पीले रंग के खरबूजे जैसी धारियों वाले अंडे देती है. 1 मादा अपने जीवनकाल में करीब 500-1000 तक अंडे देती है. ये अंडे 3 से 10 दिनों के अंदर फूट जाते हैं.

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