बस्ती जिले के रहने वाले करीब 65 साल के सेना से रिटायर कर्नल केसी मिश्र अपने खेती में किए जा रहे नवाचारों के चलते अलग पहचान रखते हैं. वे खेती से मुंह मोड़ चुके कई युवाओं को दोबारा खेती से जोड़ने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने घाटे से जूझ रही खेती को मुनाफे की तरफ मोड़ने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए हैं, जिन से सीख ले कर आसपास के कई किसानों ने अपनी खेती को मुनाफेदार बनाया है. साल 2007 में जब वे सेना से रिटायर हुए तो उन की घरेलू चीजों के अलावा 370 किस्म के 1 ट्रक पौधे भी उन के साथ लाए गए. चूंकि वे सेना में एक जिम्मेदार पद पर थे, इसलिए रिटायरमेंट के बाद उन के सामने तमाम विभागों से नौकरियों के आफर आने लगे, लेकिन उन्होंने सेना से रिटायर होने के बाद खुद खेतीबारी में समय देने का फैसला किया और बस्ती जिले के दक्षिणी किनारे पर चरकैला गांव की पैतृक जमीन पर खेतीबारी को नए तरीके से करने की कोशिश की, लेकिन उन की खेती की जमीन घाघरा नदी से सटी होने के कारण बाढ़ में डूब गई थी, इसलिए उन्होंने बाढ़ क्षेत्र से हट कर ऐसी जमीन खोजनी शुरू की जहां बाढ़ का पानी न भरता हो.

बंजर जमीन को खेती लायक बनाने में पाई सफलता : यह कर्नल केसी मिश्र की खेतीकिसानी की इच्छा का ही नतीजा था कि उन्हें किसी ने बताया कि बस्ती शहर से सटी करीब 3 एकड़ जमीन बिकाऊ है. उन्होंने उस जमीन को खरीद कर उस पर खेती करने की ठानी. जब इस बात की जानकारी उन के जानने वालों को हुई, तो कई लोगों ने उन्हें यह कह कर मना किया कि वे इस जमीन को न खरीदें, क्योंकि यह जमीन करीब 30 सालों से बंजर पड़ी है. लेकिन उन्होंने लोगों की बातों को अनसुना कर के उस जमीन को खरीद कर उसे खेती लायक बनाने का इरादा कर लिया था. ऐसे में उन्होंने साल 2008 में उस बंजर जमीन को खरीद कर खेती लायक बनाने की कोशिश शुरू कर दी.

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