राजधानी दिल्ली की रहने वाली प्रिया सक्सेना ने शादी के बाद अपनी पढ़ाई पूरी की. समाज और प्रकृति की सुरक्षा का जज्बा उन में बचपन से ही था. वे कैंसर और न्यूरो के मरीजों की सेवा का काम करती थीं. इस दौरान डाक्टरों के साथ होने वाली बातचीत से उन को पता चला कि कीटाणु केवल खेतीकिसानी को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि घर में भी मौजूद रह कर इनसानों को भी बीमार बनाने का काम करते?हैं.

दिल्ली से लखनऊ आने के बाद जब उन्होंने मलीहाबाद में आम के बागबानों को आम के पेड़ों पर दवा का छिड़काव करते देखा, तो उन की परेशानियों को महसूस किया. दवा का छिड़काव करने वालों ने उन्हें बताया कि कीटनाशकों का छिड़काव करने के बाद उन की खाल खराब हो जाती?है, आंख में दर्द होने लगता है और सांस लेने में भी परेशानी होती है.

इस दर्द को महसूस कर के प्रिया ने अमन उजाला नाम से अपनी कंपनी खोली. इस के बाद नौन टोक्सिस, नौन पौइजन और नौन एल्कोहलिक कीटनाशक बनाने का फैसला किया, जो पूरी तरह से हर्बल उत्पादों से तैयार हों और पूरी तरह से कारगर भी हों. तैयार होने वाले फल और सब्जियां भी खतरनाक और जहरीले रसायनों से दूर रह सकें.

अमन उजाला ने तकरीबन सभी क्षेत्रों जैसे घरेलू, औद्योगिक, खेती के कामों और पशुपक्षियों के लिए कीटनाशकों को तैयार किया. ये सभी लोगों के लिए पूरी तरह से उपयोगी हैं. प्रिया सक्सेना अब इन उत्पादों को ले कर उपभोक्ताओं को जागरूक कर रही हैं. प्रिया से बात कर के पता चला कि देश में ही नहीं, पूरे विश्व में कीट और कीटनाशक एक?बड़ी परेशानी बन चुके?हैं. पेश हैं उन से की गई बातचीत के खास अंश:

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