जब बात आती है दलहनी सब्जियों की तो किसी भी मौसम या किसी भी सूबे में सब्जी वाली मटर पहले नंबर पर होती है. मटर एक खास सब्जी की फसल है, जो सब्जी के अलावा अन्य पकवानों में भी इस्तेमाल की जाती है. इस में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन व खनिजलवण पाए जाते हैं. इस के हरे पौधों को तोड़ाई के बाद उखाड़ कर पशुओं के लिए हरे चारे के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. सब्जी वाली मटर की खेती हमारे देश के मैदानी इलाकों में सर्दियों में और पहाड़ी इलाकों में गरमियों में की जाती है. मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब व हरियाणा राज्यों में बड़े पैमाने पर इस की खेती की जाती है. मौजूदा समय में मटर की डिमांड हर मौसम में होने की वजह से परिरक्षण द्वारा इस की डब्बाबंदी का कारोबार बढ़ गया है. ऐसे में जरा सी भी सूझबूझ दिखाने पर किसान भाई सब्जी वाली मटर की खेती कर के भरपूर फायदा उठा सकते हैं. 

भूमि का चयन व खेत की तैयारी : अम्लीय भूमि सब्जी मटर की खेती के लिए बिल्कुल ठीक नहीं होती है. अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिस का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, सब्जी मटर की खेती के लिए सही मानी जाती है. खेत का पलेवा कर के एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2 जुताइयां देशी हल या कल्टीवेटर से कर के पाटा लगा कर खेत को भुरभुरा व समतल कर लेना चाहिए. बोआई का समय व बीज की मात्रा: मटर की बोआई का समय अक्तूबर के पहले सप्ताह से ले कर नवंबर के अंतिम सप्ताह तक होता है. अगेती बोआई के लिए 120 से 150 किलोग्राम और मध्य व पछेती बोआई के लिए 80 से 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से लगते हैं.

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