लहसुन का उपयोग मसाले के रूप में होता है. इस की खेती भारत के सभी भागों में की जाती है, लेकिन मुख्यत: इस की खेती तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान मध्य प्रदेश (इंदौर, रतलाम और मंदसौर) में बड़े पैमाने पर की जाती है. लहसुन एक नकदी फसल है. इस से विटामिन सी, फास्फोरस व कुछ प्रमुख पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं. लहसुन का उपयोग अचार, चटनी बनाने में भी किया जाता है. इस में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. लहसुन में पाए जाने वाला ‘एल्सीसिन’ आदमी के खून में जमे कोलेस्ट्रोल को कम करने की क्षमता रखता है.

लहसुन की खेती इस के शल्ककंद के लिए की जाती है. शल्ककंद में अनेक मांसल सफेद शल्कीपत्र होते हैं, जिन को आमतौर पर कलियां कहते हैं. भारत से लहसुन का निर्यात खासकर श्रीलंका, बंगलादेश व अर्जेंटीना में कर के विदेशी मुद्रा प्राप्त की जाती है. लहसुन की फसल में कीटरोग का प्रबंधन कैसे करें व कटाई के बाद कैसे भंडारण करें, इस की जानकारी यहां दी जा रही है.

लहसुन के कीटरोग

थ्रिप्स : लहसुन में इस कीट के बच्चे व वयस्क दोनों सैकड़ों की तादाद में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. ये पत्तियों को खरोंच कर छेद कर के उस का रस चूसते हैं, जिस के कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं. अंत में पौधे सूख कर भूमि पर गिर पड़ते हैं.

पत्तियों के बीच में कीड़े ज्यादा तादाद में पाए जाते हैं. इन कीटों से लहसुन की गांठें छोटी रह जाती हैं. कभीकभी इस के हमले से फसल पूरी तरह खत्म हो जाती है.

प्रबंधन : इस कीट की रोकथाम के लिए फसल पर डाइमिथोएट 30 ईसी या मैलाथियान 50 ईसी या मिथाइल डिमेटान 25 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.जरूरत हो तो 15 दिन बाद छिड़काव दोहराएं.

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