उत्पादन अच्छा होने के कारण गन्ना देश की खासमखास नकदी फसलों में आता है. देश के 18 राज्यों में गन्ने की बहुतायत थी, लेकिन गन्ने की खेती अब लगातार घट रही है. मसलन, साल 2014 में कुल रकबा 5,341 हजार हेक्टेयर था, जो घट कर साल 2015 में 5,307 हजार हेक्टेयर रह गया.

इसी तरह गन्ने की पैदावार में भी कमी आ रही है. साल 2015 के दौरान देश में गन्ने की कुल पैदावार 3,456 लाख टन थी, जो साल 2016 में गिर कर 3369 लाख टन रह गई. यदि गन्ने का रकबा व पैदावार इसी तरह घटती रही तो जाहिर है कि भारतीय चीनी उद्योग के सामने कच्चे माल की तंगी आ सकती है.

गन्ने की 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मुहैया कराने के लिए उन्नत प्रजाति को चुनना और बोआई के लिए यंत्रों का इस्तेमाल ही संतुलित पोषक तत्त्व प्रबंधन और सहफसली खेती द्वारा ही मुनासिब है.

गन्ने की फसल लेना मालीतौर पर किसानों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि उन्नत तकनीक अपना कर ही उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है. उत्पादन में ज्यादा इजाफा इस तरह भी किया जा सकता है:

गन्ने की 1 एकड़ बोआई में खादों का इस्तेमाल:

* गोबर की खाद-25 क्विंटल.

* डीएपी-50 किलोग्राम.

* यूरिया-30 किलोग्राम.

* माइक्रोन्यूटैंट-13-500.

* सल्फर-3 किलोग्राम.

* एजो फास्फोरस-1 लिटर फास्फोरस.

* ट्राइकोडर्मा-1 लिटर.

* पोटाश-50 किलोग्राम.

नोट-: अच्छे नतीजे लाने के लिए मिश्रण बोआई से 2 हफ्ते पहले मिला कर छाया में रखें.

खेत की करें तैयारी

* सब से पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें. उस के बाद हैरो टिलर से जुताई करें.

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