राजस्थान का मारवाड़ इलाका लजीज खाने की वजह से दुनियाभर में अपनी खास पहचान रखता है, चाहे बीकानेर की नमकीन भुजिया हो या रसगुल्ले की बात हो या फिर जोधपुर के मिरची बड़े व कचौरी की, एक खास तसवीर उभर कर सामने आती है. वहीं दूसरी ओर इस इलाके में मसालों की खेती भी की जाती है. प्रदेश का नागौर जिला एक ऐसी ही मसाला खेती के लिए दुनियाभर में जाना जाता है और वह है कसूरी मेथी की खेती.

डाक्टर और वैज्ञानिक कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए भी कसूरी मेथी के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. कई औषधीय गुणों से भरपूर इस मेथी का इस्तेमाल पुराने जमाने से ही पेटदर्द के साथसाथ कब्ज दूर करने और बलवर्धक औषधीय के रूप में होता आया है.

मेथी की बहुपयोगी पत्तियां सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथसाथ खाने को लजीज बनाने में भी खास भूमिका निभाती हैं. खास तरह की खुशबू और स्वाद की वजह से मेथी का इस्तेमाल सब्जियों, परांठे, खाखरा, नान और कई तरह के खानों में होता है.

नागौर की यह मशहूर मेथी अंतर्राष्ट्रीय कारोबार जगत में बेहद लजीज मसाले के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है. अब तो मेथी का इस्तेमाल लोग ब्रांड नेम के साथ करने लगे हैं.

सेहत की नजर से देखें तो मेथी में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन व प्रोटीन मौजूद है. किसान सेवा समिति, मेड़ता के एक किसान बलदेवराम जाखड़ बताते हैं कि किसी जमाने में पाकिस्तान के कसूरी इलाके में ही यह मेथी पैदा होती थी, जिस के चलते इस का नाम कसूरी मेथी पड़ा. धीरेधीरे इस की पैदावार फसल के रूप में सोना उगलने वाली नागौर की धरती पर होने लगी.

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