बस्ती जिले के ब्लाक बनकटी के परासी गांव की कौशल्या देवी के घर का खर्च पति की कमाई से बड़ी मुश्किल से चल पाता था. इस वजह से कौशल्या को अपनी छोटीछोटी जरूरतें पूरी करने के लिए मन मसोस कर रह जाना पड़ता था. इन्हीं पारिवारिक जिम्मेदारियों और अभावों के बीच कौशल्या की जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ रही थी. इसी दौरान कौशल्या द्वारा लिए गए एक छोटे से फैसले ने उस की जिंदगी ही बदल दी. अब कौशल्या को घर पर ही रोजगार मिल गया है और धीरेधीरे उस की माली हालत भी सुधरने लगी.

कौशल्या के गांव में नाबार्ड बैंक की मदद से शक्ति उद्योग प्रशिक्षण संस्थान नाम की एक संस्था ग्रामीण महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनवा कर उन में बचत की आदत डलवा रही थी.

इसी संस्था के निरंकार लाल श्रीवास्तव ने कौशल्या  को रेशम कीट पालन व्यवसाय के बारे में जानकारी दी और साथ ही यह भी बताया कि इस व्यवसाय को घर पर शुरू करने के लिए रेशम विभाग जरूरी उपकरण, कीट, शहतूत की पत्तियां आदि निशुल्क मुहैया करा रहा है.

ये भी पढ़ें- पाले से कैसे करें फसलों की सुरक्षा

कीटों द्वारा तैयार कोये को बेचने में भी महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि उन के घर से ही व्यापारी अच्छे दाम पर कोये खरीद कर ले जाएंगे. यह बात कौशल्या और उन के समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को जंच गई और यहीं से शुरू हुई इन महिलाओं के जीवन में बदलाव की कहानी.

संस्था के निरंकार लाल श्रीवास्तव ने कौशल्या और उन के समूह से जुड़ी तमाम महिलाओं को गांव में ही रेशम फार्म के प्रभारी वीरेंद्रनाथ तिवारी से मिलवाया और उन्हें रेशम कीट पालन के व्यवसाय के बारे में सलाह दी. वीरेंद्रनाथ ने महिलाओं को जरूरी फार्म भरवा कर उन्हें निशुल्क रेशम कीट पालन की जानकारी दी. कीट पालन के लिए जरूरी उपकरण जैसे रेशम कीट चाकी, रेशम कीट पालन ट्रे, सोलर लाइट, रेशम कीट पालन गृह आदि सुविधाएं भी निशुल्क मुहैया कराईं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...