देश में खेती की जमीन कम होती जा रही है. इस के चलते आने वाले समय में खाद्यान उत्पादन बड़ी समस्या के रूप में सामने खड़ा हो सकता है. कम खेत में ज्यादा उत्पादन के लिए हाइब्रिड बीज और रासायनिक खादों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो खेती की लागत को महंगा कर रहा है. इस के प्रयोग से सेहत पर भी फर्क पड़ रहा है. हमारे देश में ज्यादातर लघु सीमांत किसान हैं, जिन के पास कम खेत हैं. उन का पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर रहता है. ऐसे में ये लोग महंगी लागत वाली खेती नहीं कर पाते हैं. खेती में इन की लागत ज्यादा और मुनाफा कम होता जा रहा है. ऐसे में इस बात की जरूरत है कि खेती को उद्योग का दर्जा दिया जाए, जिस से खेती को भी उद्योगधंधे जैसी सुविधाएं व बैंक से लोन मिल सके. किसानों को अपनी उपज की कीमत तय करने का हक मिलना चाहिए. इस संबंध में एक पहल उत्तर प्रदेश से शुरू हुई है, जहां पर किसानों और कारोबारियों को एक मंच पर लाने के लिए उद्योग किसान व्यापार मंडल का गठन हुआ है. इस संगठन ने महिला किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए महिलासभा का अलग ढांचा तैयार किया है. इस की अध्यक्ष ममता सिंह के साथ बातचीत हुई. पेश हैं उस के खास अंश:

उद्योग किसान व्यापार मंडल के गठन की जरूरत क्यों पड़ी ?

किसान अपने खेत में जिस अनाज का उत्पादन करता है, वही आगे चल कर आढ़तिया बेचता है. वहां से वह फूड प्रोडक्ट्स बनाने वाली फैक्टरी में जाता है. वहां से वह उपभोक्ताओं तक पहुंचता है. ऐसे में किसान, उद्योग और कारोबारी एक चेन की तरह हैं. ये आपस में जुड़े हुए हैं. इस के बाद भी अपनी परेशानियां अलगअलग फोरम से उठाते रहते हैं, जिस से इस पूरी परेशानी को सही तरह से समझा नहीं जाता है. अब हम अपने मंच के जरीए इस कड़ी को एकजुट करेंगे और इन की समस्याओं को एक जगह से ही उठाएंगे, जिस से पूरी समस्या का एक समाधान हो सके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...