भारत सरकार हमेशा से खेती को बढ़ावा देती आ रही  है. ‘जय जवान जय किसान’ जैसे नारे और हलधर किसान जैसे चुनाव चिन्ह भी इसी बात की तरफ इशारा करते  हैं कि किसी भी देश की तरक्की में खेती की कितनी ज्यादा अहमियत  है.

हमारी मौजूदा सरकार भी खेती की खैरख्वाह बनी हुई  है. कम से कम दिखाया तो यही जा रहा  है कि खेतीकिसानी के लिए सरकार हरमुमकिन कोशिशें कर रही है.

कृषि एवं किसन कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से जुड़ा ‘राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र’ किसानों को जैविक खेती को जोड़ने के लिए ही बनाया गया है.

हाल ही में विश्व मृदा दिवस के मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद में लगे कृषि मेले में ‘राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र’ की वैज्ञानिक अधिकारी  डा. पूजा कनौजिया भी तशरीफ लाई थीं. उसी दौरान मैं ने जैविक खेती व खेती के अन्य मुद्दों पर उन से तफसील से बातचीत की. पेश हैं उसी बातचीत के कुछ खास हिस्से:

* पूजा, आप अपनी संस्था के कामों व इरादों के बारे में पूरी जानकारी दें

हमारी इस संस्था का नाम ही ‘राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र’ है, लिहाजा जाहिर है कि संस्था का खास मकसद किसानों को जैविक खेती के लिए बढ़ावा देना है. देशी किस्म के किसान महज कहने भर से तो हमारी बात मान नहीं लेंगे, लिहाजा उन्हें जैविक खेती की अहमियत पूरी तरह से समझानी पड़ती है.

अच्छी बात यह है कि किसान हमारी बात तसल्ली से सुनते व समझते  हैं और उन्हें पूरी लगन से अपनाते भी हैं. इतना जरूर है कि किसान बगैर ठीक से समझे किसी भी नसीहत को आंखें मूंद कर नहीं मानते.

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