जब जैविक खेती की बात आती है तो फसलों में कीटों के हमले से सुरक्षा किस तरह की जाए, यह समस्या सब से पहले सामने आती है. इस के लिए हमारे यहां कीटनाशकों के?ज्यादा इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषण, जमीन की उर्वरता पर उलटा असर, इनसान की सेहत पर बुरा असर और उत्पादन लागत का बढ़ना वगैरह प्रमुख समस्याएं हैं.

जैविक जीवनाशियों के इस्तेमाल द्वारा हम इन सभी समस्याओं से नजात पा सकते हैं. खेती में जैविक जीवनाशियों का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. हमारे देश में इन का इस्तेमाल पुराने समय से ही होता आया है. किसान इन सब से भलीभांति परिचित हैं.

जैविक जीवनाशी के रूप में कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो उत्पादन लागत को कम करने के साथसाथ पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण है.

जैविक जीवनाशी की सूची वैसे तो काफी लंबी है, पर प्रमुख जीवनाशी जो आज भी प्रचलित हैं और किसानों के बीच लोकप्रिय हैं, वे इस तरह हैं:

नीम, तंबाकू, करंज, मिर्च, हींग, गोमूत्र, छाछ, राख वगैरह का इस्तेमाल जैविक कीटनाशी के?रूप में किया जा सकता है. नीम कीटनाशी के तौर पर इस तरह से काम करता है:

* कीटों का असर खत्म करने या रोकने के रूप में.

* कीटों की बढ़वार को रोक कर.

नीम का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल नीम की पत्तियों का अर्क

* एक किलोग्राम नीम की पत्तियों का 10 लिटर पानी में तैयार किया गया अर्क टिड्डा, माहू, सैनिक कीट वगैरह से ग्रसित फसल पर छिड़काव करने से इन कीटों पर प्रभावी नियंत्रण होता है.

* नीम की पत्तियों को अनाज के साथ मिला कर रखने से भंडारण के दौरान अनाजों में कीटों का हमला रोका जा सकता है.

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