‘मेरी मरजी, मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं, मैं चाहे यहां जाऊं, मैं चाहे वहां जाऊं, मेरी मरजी...’ आज के टीनएजर्स हिंदी फिल्म के इस गीत से बहुत प्रेरित लगते हैं. उन का मानना है कि यह मेरी जिंदगी है, मैं चाहे जो मरजी करूं, किसी को उस से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. वे सोचते हैं कि उन की जिंदगी पर सिर्फ उन का ही हक है. वे जो कर रहे हैं या सोच रहे हैं सही है, लेकिन उन का यह मानना कि ‘यह मेरी जिंदगी है’ सही नहीं है, क्योंकि उन की इस बिंदास लाइफस्टाइल से उन के आसपास रहने वाले, नजदीकी रिश्तेदार व दोस्त भी प्रभावित होते हैं. सब से बड़ी बात यह है कि अपनी मरजी के अनुसार जिंदगी जीने से औरों के अलावा टीनएजर्स स्वयं नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं.

21 वर्षीय मोनाली की आदत है कि उस के मन में जो आता है वह सामने वाले को कह देती है. साथ ही वह यह भी कहती है, ‘भई, मैं तो साफ बोलती हूं, किसी को बुरा लगे तो लगे, मैं परवा नहीं करती.’

अपने इस स्वभाव के चलते वह किसी के परिधान, उस की व्यक्तिगत जिंदगी, उस की चालढाल पर भी कमैंट करने से नहीं चूकती. ऐसा करते समय वह एक बार भी नहीं सोचती कि अपने इस व्यवहार से वह कितने लोगों का दिल दुखाती है, कितने लोगों को आहत करती है. ऐसा करते समय वह सिर्फ यह सोचती है कि यह मेरी जिंदगी है, मैं जैसा चाहे व्यवहार करूं. लेकिन अपनी इस गलती का परिणाम भी उसे जल्द ही भुगतना पड़ा. लोगों ने उस से दूरी बनानी शुरू कर दी. इस तरह अपनी जिंदगी को ले कर उस के इस रवैए ने उसे सब से अलगथलग कर दिया.

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