10वीं कक्षा का उमर पढ़ाई में कमजोर होने के कारण हमेशा अपने अध्यापकों और मातापिता से डांट खाता था. घर से समय पर निकलने के बावजूद वह रोज स्कूल देर से पहुंचता और सजा पाता था. उसे कक्षा में बैठना पसंद नहीं था. अधिक सख्ती करने पर वह स्कूल तो समय से पहुंचने लगा पर कक्षा में पढ़ने के बजाय वह मोबाइल से अश्लील मैसेज करता. उस की अध्यापिका बहुत परेशान थीं और एक दिन अचानक जब उन्होंने विद्यार्थियों के मोबाइल चैक किए तो पाया कि उमर उन्हें परेशान करने के लिए कक्षा में पीछे बैठ कर ऐसी हरकतें किया करता था. पकड़े जाने पर उस ने माफी मांगी और बड़ी मुश्किल से उस की यह आदत छूट पाई.

हमारे आसपास ऐसी घटनाएं आएदिन घटित होती रहती हैं. अभिभावकों की अनुपस्थिति में बच्चे मोबाइल के जरिए अश्लील तसवीरें व मैसेज भेजते हैं. कंप्यूटर पर अश्लील साइटों पर जा कर समय बिताते हैं. उन दोस्तों और अध्यापकों को परेशान करते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते. जब तक मातापिता को इस की जानकारी मिलती है, बहुत देर हो चुकी होती है. इस से बच्चों के परीक्षा परिणाम, उन की दिनचर्या, उन के स्वास्थ्य पर तो गलत प्रभाव पड़ता ही है साथ ही, वे अपने वास्तविक उद्देश्य से भी भटक जाते हैं. अभिभावकों के लिए ऐसे बच्चों को संभालना, उन पर नियंत्रण रखना एक बड़ी समस्या बन जाती है. उन्हें समझ नहीं आता कि वे किस तरह बच्चों को साइबर सुरक्षा प्रदान करें.

‘नौर्टन औनलाइन फैमिली रिपोर्ट’ ने पिछले दिनों ‘साइबर चैटिंग’ पर चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया. बच्चे कैसे अनजाने में गलत राह पर चल पड़ते हैं. वे कैसे गलत लोगों का निशाना बन जाते हैं. ऐसे में बच्चों को सुरक्षित निकाल पाना न केवल मुश्किल हो जाता है बल्कि कई बार तो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी हो जाता है. साइबर यानी इंटरनैट के शुरुआती दौर का मजा उन की आदत में शुमार हो जाता है और वे साइबर के गलत पक्षों के जाल में फंसते चले जाते हैं.

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