महान जहाजी कोलंबस अपनी सारी सुविधाएं और बेहतर नौकरी छोड़ कर दुस्साहसिक यात्राओं पर निकल पड़ते थे. ह्वेनसांग और फाह्यान तो पैदल ही चीन से हिमालय के मुश्किल रास्तों व बाधाओं को लांघते हुए भारत पहुंचे थे. इस दौरान उन पर कई हमले हुए, उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी, लेकिन वे डिगे नहीं.
10वीं से 14वीं सदी के बीच जब खोजी यात्री अपने घरों से निकलते थे, तो उन की वापस जिंदा लौटने की उम्मीदें न के बराबर होती थीं. जब वे अपने वतन को लौटते, तो इसे उन का नया जन्म माना जाता था. उन की इसी साहसिक प्रवृत्ति ने लोगों को दुनिया के अनजाने देशों, जगहों, जंगलों और खतरों से रूबरू कराया. साहस जब ज्ञान और लोकोपयोग से जुड़ जाता है तो वह जीवन को बदलता है, नए प्रभाव डालता है.
साहसी बनो
अपने अधिकारों के लिए साहसी बनो, कमजोरों के लिए साहसी बनो, हार को सहने के लिए साहसी बनो, खुद को मजबूत करने के लिए साहसी बनो, उन्हें माफ करने के लिए साहसी बनो जिन्होंने तुम्हारे साथ गलत किया.
साहस जितना छोटा शब्द है, उतना ही करिश्माई भी है. साहस के सामने दुनिया की महाशक्तियां भी बौनी पड़ चुकी हैं. साहस ने युग बदले हैं. बड़ी से बड़ी ताकत के नशे में चूर सत्ताओं को इस ने धूल में मिलाया है. तानाशाहों की अकड़ ढीली की है. उन्हें नेस्तनाबूद किया है.
साहस का अन्याय और प्रतिकार से गजब का रिश्ता है. दुनिया के सभी शास्त्रों में साहस सभी मानवीय गुणों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. पुराने जमाने में साहसी लोग समाज के नायक माने जाते थे. उन्हें खास सम्माननीय दर्जा मिलता था. यह साहस ही है, जिस ने इस धरती को बदला, सभ्यताओं के लिए रास्ते बनाए, बेहतर जीवनशैली और विचारों के लिए जगह बनाई.