ग्रैजुएशन के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हरेंद्र का अधिकांश समय पढ़ाई और घर के कामकाज में गुजरता था. बचे समय में मूड फ्रैश करने के लिए वह दोस्तों के साथ थोड़ी मौजमस्ती कर लेता था. सभी उस की तारीफ करते थे खासतौर से उस के पापा तो उस पर गर्व करते थे. अपनी तारीफ सुन हरेंद्र फूला न समाता और वह और अधिक जिम्मेदारी से काम करता. कुछ दिन पहले उस के पापा दफ्तर के काम से 8 दिन के लिए बाहर गए तो जातेजाते उसे बिजली का बिल और 800 रुपए यह कह कर थमा गए कि कल बिल भरने की आखिरी तारीख है, याद से बिल जमा कर देना नहीं तो कनैक्शन कट जाएगा और पैनल्टी भी लग जाएगी.

दूसरे दिन जैसे ही हरेंद्र बिजली का बिल जमा करने के लिए रवाना हुआ तो रास्ते में ही मोबाइल की घंटी बज उठी. उस की फ्रैंड शिवानी का फोन था. शिवानी ने उसे तुरंत इंडियन कौफी हाउस में बुलाया था. वह वहां उस का इंतजार कर रही थी. हरेंद्र बिल अदा करना भूल तुरंत कौफी हाउस की तरफ मुड़ गया. रास्ते भर वह शिवानी से मिल कर प्यार भरी बातों के सपने बुनता रहा, हालांकि उसे हैरानी थी कि आखिर आज तक घास न डालने वाली शिवानी उस पर अचानक मेहरबान क्यों हो रही है.

कौफी हाउस पहुंचा तो शिवानी कोने की मेज पर बैठी उस का इंतजार करती मिली. बातचीत, पढ़ाई, कालेज और कोचिंग से शुरू हुई और वहीं खत्म हो गई. लेकिन इस दौरान शिवानी ने नूडल्स और छोलेपूरी खाए और आखिर में आइसक्रीम भी मंगा डाली. 400 रुपए का बिल आया. जेबखर्च अभी न मिल पाने के कारण बिजली बिल के रुपयों में से ही हरेंद्र ने बिल अदा किया और दोनों अपनेअपने रास्ते चल दिए. हरेंद्र यह तय नहीं कर पाया कि आखिर शिवानी चाहती क्या थी, लेकिन यह जरूर उसे समझ आ गया कि अब बिजली के बिल की खिड़की बंद हो चुकी होगी और पैनल्टी लगना तय है. अब अहम बात यह थी कि अगर कल भी बिल भरे तो पैसे कहां से आएंगे?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...