जमाखोरी पर केंद्र सरकार सख्त दालों की भंडारण सीमा तय होगी

नई दिल्ली : कभी प्याजलहसुन तो कभी चीनी और अकसर दाल को ले कर देश में बवाल मचता ही रहता है. अभी कुछ अरसा पहले ही दाल के दाम 200 रुपए प्रति किलोग्राम का दायरा पार कर गए थे. मौजूदा वक्त में भी दाल के हालात ज्यादा अच्छे नहीं हैं, लिहाजा केंद्र सरकार का परेशान हो कर चौकन्ना होना लाजिम है. इन दिनों आपूर्ति की कमी के कारण दालों के दामों में एक बार फिर से तेजी का रुख है. इसी वजह से केंद्र ने सूबों से दालों की जमाखोरी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा है. सूबों से कहा गया है कि वे व्यापारियों के लिए तमाम तरह की दालों की भंडारण सीमा तय करें, ताकि बेहिसाब भंडारण पर लगाम लग सके. खाद्य मंत्रालय के एक बड़े अफसर ने बताया कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश सूबों ने कुछ दालों के लिए भंडारण सीमा तय की है. तमाम सूबों से जमाखोरी और मूल्यों पर काबू पाने के लिए भंडारण की सीमा सभी दालों के लिए तय करने को कहा गया है. अफसर के मुताबिक पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के सूबों ने अभी तक इस तरह की कोई सीमा तय नहीं की है. वैसे वक्त का तकाजा तो यही है कि दाल पैदा करने वाले सभी सूबों में यह सीमा जल्दी से जल्दी तय हो जानी चाहिए.

आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत व्यापारियों के लिए दालों के भंडारण की सीमा करीब 1 साल से लागू है. मध्य प्रदेश वैसे तो चने का खास उत्पादक है, मगर सूबे की सरकार ने चना व्यापारियों पर इस की खुदरा कीमतों में इजाफे के बावजूद भंडारण की कोई सीमा नहीं लगाई है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...