इराक और सीरिया में सक्रिय इसलामिक स्टेट जिस धर्म की पुर्नस्थापना का दावा करता है वह औरतों पर तरहतरह के क्रूरतम जुल्म ढाता है. इसलामिक स्टेट के सिपाहियों द्वारा औरतों को बेचना धार्मिक काम माना जाता है. इसलामिक स्टेट हमलों में बहुत सी लड़कियों का अपहरण कर लेता है और फिर उन्हें बेच देता है. एक जानकारी  के अनुसार, 5 साल से 15 साल की लड़की, जिस की कीमत ज्यादा होती है, सिर्फ 132 डौलर में बेच दी जाती है.

इन लड़कियों को यौनसुख के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. जो सहमति न दें या पर्याप्त सुख न दें, उन्हें तरहतरह से दंड दिए जाते हैं और बहुतों को जिंदा डुबो दिया जाता है या जला दिया जाता है. जहां इसलामिक स्टेट के आतंकियों का राज है वहां कोई भी लड़की सुरक्षित नहीं. वे 60 साल तक की औरतों की खरीदफरोख्त का व्यापार खुलेआम करते हैं.

जो लोग मानते हैं कि धर्म सदाचार सिखाता है, उन्हें समझना होगा कि सदियों से धर्म के नाम पर औरतों पर जुल्म किए गए हैं. हिंदू धर्म में विधवाओं को जलाना, बाल मुंडवा कर घर से निकाल देना, वेश्यावृत्ति में धकेल देना आम बात रही है. आदमी चाहे कितनी औरतों के साथ सोए पर जब भी औरत पकड़ी जाए तो उसे मौत तक का दंड दे दिया जाता था. भारत के मंदिरों में देवदासियां रहती थीं तो चर्चों में पूरी जिंदगी कैदखानों की सी जिंदगी जीतीं नन.

21वीं सदी में इसलामिक स्टेट को आज अमीर देशों से इस तरह पैसा और हथियार मिल रहे हैं कि दुनियाभर के उचक्के, लफंगे, लड़ाकू धर्म के नाम पर पश्चिमी एशिया में जमा हो गए हैं और इन के कहर का शिकार यदि सरकारें बनतीं तो बात दूसरी है पर बन रही हैं औरतें, लड़कियां, बीवियां और मांएं. लाखों लोग पश्चिमी देशों में पनाह के लिए सैकड़ों मील चल कर पहुंच रहे हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...